हिंदी फिल्म जगत में कई कलाकार ऐसे हैं। जिन्हें अपने फिल्मी करियर में बस एक बड़े मौके की तलाश थी। चाहे इस मौके को हासिल करने के लिए उन्हें कई दिक्कतों का सामना क्यों न करना पड़ा हो। बॉलीवुड में ऐसे कई कलाकार आज मौजूद हैं जिन्होंने अपने इस एक मौके को खाली नहीं जाने दिया और बड़े मुकाम पर है। ऐसे ही एक कलाकार से आज आपको रूबरू करवाने जा रहे हैं। जिन्हें आज सभी देखना बेहद पसंद करते हैं। क्योंकि फिल्मों में उन्हें किरदार ही ऐसा दिया जाता है।

दअरसल, हम बात कर रहे हैं। कल्लू मामा के नाम से मशहूर सौरभ शुक्ला की जिन्होंने आज बॉलीवुड में बड़ा मुकाम हासिल किया है। फिल्म में उनके किरदार को दर्शक देखना बेहद ही पसंद करते हैं। उन्होंने हिंदी सिनेमा में कई बड़ी फिल्मों में अभिनय किया। लेकिन एक फिल्म ने उनकी रातों रात किस्मत बदल कर रख दी। बता दें कि वह फिल्म थी सत्या इस फिल्म में कल्लू मामा के किरदार ने उन्हें बड़ी पहचान दिलाई।
थियेटर और टीवी शोज में किया काम

सौरभ शुक्ला का जन्म 1973 में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में हुआ था। उनके पिता शत्रुघ्न शुक्ला आगरा घराने के मशहूर गायक और मां जोगमाया शुक्ला पहली तबला वादक थीं। उनके माता-पिता को फिल्में देखने का बड़ा शौक था। जब सौरभ दो साल के थे तब उनका परिवार दिल्ली आ गया। जिसके बाद सौरभ शुक्ला ने अपनी पढ़ाई दिल्ली में रहकर ही पूरी की। 1984 में थियेटर से सौरभ शुक्ला ने अपने करियर की शुरुआत की। जिसके बाद उन्हें फिल्मों में काम करने का मौका मिला। सौरभ को सबसे पहला मौका शेखर कपूर ने फिल्म बैडिंट क्वीन में दिया। फिल्म और थियेटर के साथ उन्होंने कई टीवी शोज में भी नजर आ चुके हैं।
फिल्म सत्या ने बदलदी पूरी जिंदगी

लेकिन जैसा कि आप जानते हैं जब किस्मत में कुछ बड़ा लिखा हो तो उसे करने से कोई रोख नहीं सकता। सौरभ शुक्ला के जीवन में भी कुछ ऐसा ही था। थियेटर और शोज के बीच उन्हें 1998 में सबसे बड़ा ब्रेक राम गोपाल वर्मा ने अपनी फिल्म सत्या में दिया, जिसमें वह गैंगस्टर कल्लू मामा के रोल में दिखे। वहीं उनके इस रोल ने सभी को खूब इम्प्रेस किया। वहीं फिल्म के बाद सौरभ को उनके नाम की बजाय कल्लू मामा के नाम से मशहूर कर दिया।
नाम मिला लेकिन काम नहीं

हालांकि उनका खुद का मानना है कि इससे उनके करियर को बहुत ज्यादा फायदा नहीं हुआ। एक इंटरव्यू में सौरभ कहते हैं कि ‘सत्या के बाद मुझे वैसा काम नहीं मिल रहा था जैसा मैं चाहता था। इसके लिए मुझे 10 साल का इंतजार करना पड़ा। लोग मेरे काम की तारीफें तो करते थे लेकिन काम नहीं मिलता था। 10 साल मेरे लिए बहुत मुश्किलों भरे रहे। मेरे करियर की दूसरी पारी फिल्म बर्फी से शुरू हुई। उसके बाद जॉली एलएलबी ने सबकुछ बदल दिया और कई अच्छी फिल्में मिलीं।’