अजय के पिता वीरू देवगन नहीं बन सके हीरो तब खुद से किया था वादा, बेटे को बॉलीवुड का स्टार बनाऊंगा

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बॉलीवुड अभिनेता अजय देवगन के पिता वीरू देवगन का 2 साल पहले निधन हो गया। बॉलीवुड के टॉप के स्टंट मास्टर वीरू देवगन हीरो बनने मुंबई आए थे। लेकिन जब उन्हें लगा कि वह हीरो नहीं बन सकते हैं तो खुद से वादा किया कि वह अपने होने वाले पहले बेटे को हीरो जरूर बनाएंगे। जब वीरू देवगन के बेटे अजय देवगन का जन्म हुआ तो वीरू ने फिल्मों के लिए कई आवश्यक सभी चीजों को अपने बेटे के लिए जुटाना शुरू कर दिया और ट्रेनिंग शुरू कर दी। एक दिन उन्होंने जो सोचा था वह सपना उनका पूरा हुआ।

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ajay devgan with father and veeru devgan

वीरू देवगन बॉलीवुड में हीरो बनने का सपना लिए सन् 1957 में 14 साल की उम्र में अमृतसर से अपने कुछ दोस्तों के साथ मुंबई आए। पैसे नहीं होने की वजह से मुंबई आने के लिए बेटिकट यात्रा की और जेल की हवा भी खाई। इसके बाद वह जेल से छूटे, तो कुछ बात बनती नजर नहीं आई तो कुछ दोस्त वापस अपने घर लौट गए।
वीरू देवगन वहीं डटे रहे और कुछ छोटे-मोटे काम करके अपनी आजीविका चलाने लगे।

Veeru Devgan

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जब वीरू ने कई निर्माता- निर्देशकों के यहां चक्कर लगाए तो उन्हें महसूस हुआ कि फिल्मों में चॉकलेटी चेहरे वाले लोग ही हीरो बने हुए हैं। ऐसे में उन्हें लगा कि उनको मौका मिलना बहुत ही मुश्किल है। वीरू देवगन के शब्दों में,”जब मैंने आईने में अपना चेहरा देखा तो दूसरे स्ट्रगलर्स के मुकाबले खुद को कमतर अनुभव किया। इसलिए मैंने हार मान ली। लेकिन प्रण किया कि मेरा पहला बेटा हीरो ही बनेगा।

Veeru Devgan ajay devgan

बेटे अजय को हीरो बनाने के लिए वीरू ने वह सारे प्रयत्न किए जिसकी आवश्यकता थी। बचपन में ही अजय देवगन को वह सब शिक्षा दी जो बाद में फिल्मों के लिए जरूरी थी। अजय देवगन की कॉलेज के समय ही डांस क्लासेज शुरू करवाई। घुड़सवारी की ट्रेनिंग भी जल्दी ही प्रारंभ करवा दी। जिम की सुविधा अपने घर में ही उपलब्ध करवाई। जब वह कॉलेज में थे तब ही फिल्म “दुश्मनी” में शेखर कपूर को पार्ट टाइम असिस्ट किया। इसके साथ ही अजय को अपनी फिल्मों की एक्शन टीम में रखा। जिसकी वजह से अजय की फिल्म मेकिंग और एक्शन सींस की समझ विकसित हो।

veeru devgan taught ajay devgan

निर्देशक संदेश कोहली एक दिन शाम को अजय देवगन के घर आए हुए थे। वीरू देवगन उनके साथ बातचीत कर रहे। अजय देवगन जब घर लौटे तो, निर्देशक संजय कोहली ने अजय को “फूल और कांटे” में कास्ट करने की इच्छा व्यक्त की। अजय देवगन ने मना कर दिया। अजय का कहना था कि वह अभी केवल 18 वर्ष के ही हैं और लाइफ के मजे ले रहे हैं। ऐसा कह कर अजय देवगन बाहर चले गए। कुछ समय बाद वह मान गए और अक्टूबर 1990 में उन्होंने फिल्म की शूटिंग प्रारंभ कर दी। पिता वीरू देवगन की दी हुई ट्रेनिंग और उनके सीखे हुए स्किल्स इस फिल्म में बहुत काम आए। इस प्रकार नवंबर 1991 में रिलीज हुई इस फिल्म ने अजय को स्टार बना दिया। देवगन आज एक सफल कलाकार बन गए है और सबसे भरोसेमंद कलाकारों में गिने जाते हैं। आज वह निर्माता भी बन गए हैं।


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