इन दिनों हर तरफ टोक्यो ओलंपिक की चर्चा चल रही है और इस दौरान भारत की और से खिलाड़ियों द्वारा किए गए उम्दा प्रदर्शन से सभी देशवासी काफी ज्यादा खुश है।
भारतीय खिलाड़ियों ने टोक्यो ओलंपिक में अपनी ओर से अच्छा प्रदर्शन करते हुए 7 मेडल अपने नाम किए हैं जिसमें एक गोल्ड 2 सिल्वर और चार कांस्य पदक है। लेकिन इन सब में सबसे ज्यादा सुर्खियों में नीरज चोपड़ा का नाम रहा है जिन्होंने जैवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल अपने नाम करते हुए भारत का 13 साल का सूखा दूर कर दिया है।
नीरज चोपड़ा ने 87.58 भाला फेंकते हुए यह गोल्ड मेडल अपने नाम किया है। वही इतनी बड़ी सफलता पाने के बाद से ही नीरज चोपड़ा की चर्चाएं काफी तेजी से चल रही है। आज सभी देशवासी उन से जुड़ी हर एक जानकारी को जानना चाहते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दे कि नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक तक पहुंचने और गोल्ड मेडल अपने नाम करने के लिए कड़ी मेहनत की है तब जाकर वे देश का नाम विश्व पटल पर गौरवान्वित करने में सफल रहे हैं।
आज सोशल मीडिया पर नीरज चोपड़ा से जुड़ी बहुत सी ऐसी वीडियो वायरल हो रही है जिनको देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इस खिलाड़ी ने यहां तक पहुंचने के लिए अपने जीवन के कई साल दिए हैं। नीरज चोपड़ा एक किसान के बेटे हैं और बहुत छोटी सी जगह से ताल्लुक रखते हैं। लेकिन उन्होंने काफी संघर्ष करते हुए टोक्यो ओलंपिक तक का सफर तय कर लिया नीरज चोपड़ा मोटापे का भी शिकार हो चुके हैं लेकिन उन्होंने बिना सर्जरी कर आए दिन रात कड़ी मेहनत करते हुए अपने आप को फिट और स्ट्रांग बनाया है।
चलो आज हम आपको किस आर्टिकल के माध्यम से बताते हैं कि कितने सालों की मेहनत के बाद नीरज चोपड़ा देश के लिए गोल्ड मेडल लाने में सफल रहे हैं और इस दौरान उन्होंने कितनी मेहनत की है। खबरों की माने तो नीरज चोपड़ा पिछले 5 सालों से निरंतर प्रैक्टिस करते आ रहे हैं इस दौरान उन्होंने तकरीबन 177 भालों का उपयोग किया है। इतना ही नहीं उनकी इस ट्रेनिंग के लिए मोटी रकम खर्च करनी पड़ी है बताया जाता है कि इन 5 सालों में तकरीबन 7 करोड़ रूपए खर्च हुए हैं।
नीरज चोपड़ा ने 5 सालों में तकरीबन 1617 दिन कड़ी मेहनत की है। इतना ही नहीं नीरज को ओलंपिक के लिए मजबूत तरीके से तैयार करने के लिए विदेशी कोच के साथ फिजियोथेरेपिस्ट को भी हायर करवाया गया था। बताया जाता है कि नीरज चोपड़ा की ट्रेनिंग में बिल्कुल भी कमी नहीं रखी गई थी और इसके लिए केंद्र सरकार ने काफी मोटी रकम भी चुकाई है। वही नीरज चोपड़ा को बेस्ट ट्रेनिंग देने के लिए उन्हें जैवलिन थ्रो के लिए तकरीबन 75 लाख रुपए कीमत की मशीन भी उपलब्ध करवाई गई थी।
जिस तरह टोक्यो ओलंपिक में नीरज चोपड़ा का शानदार प्रदर्शन देखने को मिला और उन्होंने देश के लिए गोल्ड मेडल हासिल किया लेकिन नीरज चोपड़ा के पीछे उनके कोच और सरकार का भी बड़ा हाथ रहा है। हालांकि खबरों की माने तो सरकार खिलाड़ियों पर खर्च करने वाले पैसे को एक तरीके का निवेश मानती है लेकिन नीरज चोपड़ा पर किए गए सरकार के इस निवेश से अच्छा रिटर्न भी प्राप्त हुआ है और उन्होंने गोल्ड मेडल जीतने के बाद विश्व पटल पर भारत का नाम भी गौरवान्वित कर दिया है। खेलों को लेकर सरकार पिछले काफी समय से एक्टिव नजर आ रही है और ऐसी कई योजनाएं चल रही है जिसमें स्पोर्ट्स से संबंधित खिलाड़ियों को बड़े स्तर पर पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है।