भारत के लिए पैरालंपिक में गोल्ड मेडल लाने वाले देवेंद्र झाझड़िया, आज जी रहे हैं गुमनामी की जिंदगी

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टोक्यो ओलंपिक 20-20 में भारत की ओर से जेवलिन थ्रो में अपना देश का प्रतिनिधित्व करने वाले नीरज चोपड़ा ने गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास में अपना नाम दर्ज कर दिया है। और विश्व पटल पर भारत को भी गौरवान्वित कर दिया है बता दें कि टोक्यो में हुए ओलंपिक के दौरान भारतीय खिलाड़ियों की ओर से उम्दा प्रदर्शन करते हुए 7 मेडल अपने नाम की जिसमें एक गोल्ड मेडल जोकि नीरज चोपड़ा ने जैवलिन थ्रो के माध्यम से अपने नाम किया उन्होंने 87.58 दूर तक भाला फेंकते हुए यह मेडल अपने नाम किया।

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Devendra Jhajharia

वही नीरज चोपड़ा की इस कामयाबी के बाद से ही पूरा देश उनको शुभकामनाएं दे रहा है इतना ही नहीं आज भी सोशल मीडिया पर छाए हुए हैं हर तरफ नीरज चोपड़ा की ही चर्चा चल रही है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे खिलाड़ी के बारे में बताने जा रहे हैं जो अपने देश के लिए एक नहीं दो गोल्ड मेडल अपने नाम कर चुके हैं लेकिन आज वह खिलाड़ी गुमनामी की जिंदगी जी रहा है। एक समय देश का गौरव कहलाने वाले देवेंद्र झाझड़िया आज गुमनाम है।

तो चलो आज हम आपको बताते हैं कि कौन है देवेंद्र जिन्होंने दो गोल्ड मेडल जीत कर एक समय सभी देशवासियों का दिल जीत लिया था लेकिन अब उन्हें भुला दिया गया है आज देवेंद्र का नाम आपने शायद ही पहले कभी सुना हो तो चलो इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको देवेंद्र झाझड़िया से जुड़ी संपूर्ण जानकारी देते हैं कि उन्होंने किस तरह दो गोल्ड मेडल अपने नाम की है और ऐसा क्या हुआ कि आज उन्हें गुमनामी की जिंदगी जीना पड़ रहा है।

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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि नीरज चोपड़ा की तरह देवेंद्र भी भाला फेंकने हैं और उन्होंने इसमें ही दो गोल्ड मेडल अपने नाम किए हैं लेकिन नीरज चोपड़ा और उनमें एक फर्क या है कि देवेंद्र भाला फेंकने के लिए केवल एक ही हाथ का उपयोग करते हैं। क्योंकि उनका एक हाथ भाला फेंक में योग्य नहीं है। इसलिए वे पैरालंपिक में आते हैं और नीरज चोपड़ा दोनों हाथ का उपयोग करते हैं। इसलिए वे ओलंपिक में गिने जाते हैं। लेकिन दोनों ही खिलाड़ी का काम ही है कि है भाला फेकना।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि टोक्यो मैं भी 24 अगस्त से पैरालंपिक खेलों का आयोजन किया जाना है जिसमें भारत की ओर से देवेंद्र झाझड़िया देश का प्रतिनिधित्व करने वाले हैं। और नीरज चोपड़ा के बाद सभी की निगाह उनके ऊपर टिकी हुई है जहां पहले ही दो गोल्ड मेडल अपने नाम कर चुके देवेंद्र आज किसी की पहचान के मोहताज नहीं है। लेकिन समय और व्यवस्थाओं के अभाव के कारण देवेंद्र आज गुमनामी की जिंदगी जी रहे हैं। अब देवेंद्र की निगाह अपने तीसरे पैरालंपिक पर टिकी हुई है बता दें कि इससे पहले वे एथेंस व रियो में भाग ले चुके हैं।

अपने अब तक के करियर में दो बार पैर ओलंपिक में हिस्सा ले चुके देवेंद्र ने दोनों वार विश्व रिकॉर्ड बनाए थे। देवेंद्र ने एथेंस ओलंपिक 2004 से 62.15 मीटर भाला फेंका था जो कि एक विश्व रिकॉर्ड है कहीं अपने शानदार प्रदर्शन की बदौलत उन्होंने पहली बार गोल्ड मेडल अपने नाम किया। वहीं दूसरी बार ओलंपिक में हिस्सा लेने पहुंचे देवेंद्र ने रियो ओलंपिक 2016 में अपना खुद का रिकॉर्ड तोड़ते हुए भाले को 63.97 दूर तक फेका साथ ही उन्होंने अपना पुराना रिकॉर्ड तोड़ते हुए एक और नया विश्व रिकॉर्ड बना दिया उनके इस प्रदर्शन के लिए भी उन्हें गोल्ड मेडल मिला था और यहां उनका दूसरा गोल्ड मेडल था।

वहीं वे टोक्यो ओलंपिक में हिस्सा लेने के लिए जल्द ही रवाना होने वाले हैं इससे पहले एक निजी न्यूज़ चैनल को दिए इंटरव्यू के दौरान उनके भाई ने बताया कि देवेंद्र पिछले 1 साल से कड़ी मेहनत कर रहे हैं इतना ही नहीं इस दौरान वे अपने घर भी नहीं आए अपने पिता के निधन होने पर केवल 1 दिन के लिए वह घर आए थे। उनकी निगाह टोक्यो ओलंपिक में अपने पुराने रिकॉर्ड को तोड़ने की है इस बार उन्होंने मन बनाया है कि वे 69 तक भाला फेंक कर एक और विश्व रिकॉर्ड बनाएंगे।

भारत के लिए दो गोल्ड मेडल अपने नाम कर चुके देवेंद्र झाझड़िया का एक जन्म की ढाणी, गांव देवीपुरा, राजगढ़, चूरू, राजस्थान में साल 1981 में हुआ है। वे पिछले 19 सालों से स्पोर्ट्स से जुड़े हैं। बता दें कि उनकी पत्नी भी कबड्डी की बड़ी खिलाड़ी रह चुकी है आज उनके दो बच्चे हैं। अब देखना होगा कि टोक्यो ओलंपिक के दौरान देवेंद्र नीरज चोपड़ा की तरह एक बार फिर अपने देश के लिए गोल्ड मेडल लाने में सफल रहते हैं या नहीं।


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