100 करोड़ की मालकिन लेकिन दो वक्त की मोहताज इनकम टैक्स विभाग की कार्रवाई में हुआ खुलासा

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संजू देवी के पति की मौत के बाद कमाई का कोई जरिया नहीं था, इसलिए दो बच्चों को पालने के लिए खुद ही मजदूरी करनी पड़ती है. संजू देवी खेती के अलावा जानवरों को पालने का काम भी करती है.

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जयपुर में इनकम टैक्स विभाग को 100 करोड़ की संपत्ति की ऐसी मालकिन मिली जो परिवार चलाने के लिए पाई पाई की मोहताज है. आयकर विभाग ने जयपुर दिल्ली हाईवे पर 100 करोड़ से अधिक की कीमत की 64 बीघा जमीन खोज निकाली है, जिसकी मालकिन एक आदिवासी औरत संजू देवी मीणा है. उसे यह भी मालूम नहीं है कि उसने जमीन कब खरीदी और कहां पर. फिलहाल आयकर विभाग ने इस जमीन को अपने कब्जे में ले लिया है. दरअसल आयकर विभाग को शिकायत मिली थी कि दिल्ली हाईवे पर बड़ी संख्या में दिल्ली और मुंबई के उद्योगपति आदिवासियों के फर्जी नाम पर जमीन खरीद रहे हैं, इसका सिर्फ कागजों में लेन-देन हो रहा है.

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कानून के मुताबिक आदिवासी की जमीन आदिवासी ही खरीद सकता है. कागजों में खरीदने के बाद अपने लोगों के नाम से पावर ऑफ अटॉर्नी साइन करा कर रख लेते हैं. इसके बाद जब इनकम टैक्स विभाग ने इसके असली मालकिन की खोजबीन की तो पता चला कि जमीन की मालकिन राजस्थान के सीकर जिले के नीमकाथाना तहसील के दीपावास गांव में रहती है. पहाड़ियों के बीच बसे इस गांव में पहुंचना आसान नहीं है.

संजू देवी मीणा के अनुसार उसके पति और ससुर मुंबई में कार्य किया करते थे. उस दौरान 2006 में उसे जयपुर के आमेर में ले जाकर एक जगह पर अंगूठा लगवाया गया था. मगर उसके पति की मौत को 12 साल हो गए और वह नहीं जानती है कि कौन से संपत्ति उसके पास है और कहां पर है. पति की मौत के बाद ₹5000 कोई घर दे जाता था जिसमें से ढाई हजार में रखती थी और 2500रू फुफेरी बहन जो साथ रहती थी उसे दे देती थी. लेकिन कई साल हो गए कोई पैसा देने नहीं आता है मुझे तो आज पता चला कि मेरे पास इतनी संपत्ति है. इनकम टैक्स विभाग ने इस खुलासे के बाद गांव में हड़कंप मचा हुआ है, क्योंकि गांव वालों का कहना है कि कई कंपनियों ने यहां जमीन खरीदी है. जिनके बारे में कहा जाता है कि यह कंपनी की जमीन है, मगर कोई नहीं जानता किसकी है. पिछले कुछ सालों में इनकम टैक्स विभाग इस इलाके में 1400 करोड़ की जमीन जप्त कर चुकी है. जिनमें से 69 मामलों में कोर्ट ने फैसला देते हुए जमीन को इनाम घोषित कर सरकार को सौंप दी है.

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