Basant Panchami 2023: पूरा भारत आज बसंत पंचमी का पर्व हर्षोल्लास के साथ मना रहा है इसी के साथ भारतीय गणतंत्र दिवस भी मनाया जा रहा है। भारत में बसंत पंचमी मौसम के परिवर्तन का आगाज है इसके बाद ठंड कम होने लगती है वह धीरे-धीरे गर्मी बढ़ने लगती है। बसंत पंचमी के इस पावन मौके पर मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन मैं एक सरस्वती मंदिर है जो अपने आप में अनोखा है। इस मंदिर में विराजित माता को नील सरस्वती के नाम से पहचाना जाता है जिसकी एक खास वजह है।
इस मंदिर का नील सरस्वती नाम से पहचाना जाना इसलिए विशेष है क्योंकि बसंत पंचमी के दिन ही माता को नीले कलर की स्याही से अभिषेक किया जाता है। शहरवासियों की यह मान्यता है कि इस तरह से अभिषेक करने से माता प्रसन्न होती है और परीक्षाओं के पहले विद्यार्थियों को बुद्धि और ज्ञान का आशीर्वाद देती है। यह मान्यता पूरे प्रदेश में काफी प्रचलित है इसलिए दूर-दूर से विद्यार्थी गण यहां आकर अच्छे अंको से पास होने की मनोकामना करते हैं और माता का नीली शाही से अभिषेक करते है।
क्या है पौराणिक मान्यता
उज्जैन शहर बाबा महाकाल की नगरी के नाम से जाना जाता है और यह सरस्वती मंदिर उज्जैन शहर के शिवपुरी में बिजासन पीठ के निकट ही स्थित है। स्थानीय लोग इसे स्याही माता मंदिर के नाम से भी जानते हैं। 16 संस्कारों से सुसज्जित हिंदू धर्म मैं विद्यारंभ संस्कार को बसंत पंचमी पर करने की प्रथा है। हम सभी माता सरस्वती को नीलवर्ण भी कहते हैं इसलिए माता को नीलकमल और नीली स्याही चढ़ाकर बुद्धि का वरदान मांगा जाता है।
मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन महाकाल लॉक के लिए तो मशहूर है ही लेकिन अब नीली स्याही माता मंदिर के नाम से भी अपनी पहचान बना रहा है। स्थानीय नागरिकों के अनुसार मां सरस्वती का यह मंदिर करीब 1000 साल पुराना है और इसकी बहुत मान्यता है। यही कारण है कि परदेसी नहीं दूसरे प्रदेशों से भी कई विद्यार्थी बसंत पंचमी के अवसर पर माता का आशीर्वाद लेने यहां आते हैं। कई माता-पिता अपने बच्चों को लेकर बसंत पंचमी के दिन अच्छे अंको से पास होने की कामना लिए माता के दर्शन करते हैं।
प्रतिवर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्यौहार पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है। इस वर्ष भी बसंत पंचमी 26 जनवरी के दिन है और यह भारत का संविधान दिवस है। इसीलिए इस दिन मां सरस्वती की पूजा का विशेष महत्व है जोकि ज्ञान और विद्या की देवी मानी जाती है। माता सरस्वती की कृपा से जीवन जीवन में हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है। इसी दिन से भारत में बसंत ऋतु की शुरुआत मानी जाती है।