आपने काले रंग का जामुन और अंगूर खाया होगा लेकिन यदि आपसे यह पूछा जाए कि आपने काले रंग के सेब को खाया है तो आप जरूर आश्चर्यचकित रह जाएंगे। दुनिया में विभिन्न प्रकार के फल पाए जाते है इनमे से कुछ खाने लायक होते है और कुछ नहीं खाने लायक। जी हां मजेदार बात यही है कि काले रंग के अंगूर की तरह ही सेब का भी रंग काला होता है। वास्तव में इसका रंग गहरा बैगनी होता है, लेकिन पहली नजर में देखने पर यह काला ही लगता है। आपने बाजार में कई तरह के सेब देखे होंगे लेकिन यह एक दुर्लभ प्रकार का सेब होता है जो कि बहुत ही कम पाया जाता है।
दुनिया के कई देशों में सेब की खेती की जाती है लेकिन 20 देश ऐसे है जो विभिन्न प्रकार के सेब की ही खेती करते है। लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा की इस विशेष प्रकार के काले या बैंगनी सेब की खेती भारत में की जाती है। यह सेब स्वाद में शहद से भी कई गुना मीठा होता है और दुर्लभ भी।
तिब्बत की पहाड़ी पर खेती
बता दें कि काले रंग के सेब को ब्लैक डायमंड कहते है। इसकी खेती तिब्बत की पहाड़ियों पर भी होती है। सेब की इस किस्म को ‘हुआ नियु’ कहा जाता है। इसे ‘चाइनीज रेड डिलिसियस’ के भी नाम से जाना जाता है। इस अनोखे सेब के अनोखे गहरे बैगनी रंग के पीछे तिब्बत के नाइंग- ची क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति है। चीन की कंपनी Dandong tianluo sheng nong E-Commerce trade Co. 50 हेक्टेयर की जमीन पर इसकी खेती करती है। यह जमीन समुद्र तल से 3100 मीटर की ऊंचाई पर है। इस तरह के सेब की खेती के लिए एक आदर्श जगह यही है।
इन कारणों से ब्लैक डायमंड
चूंकि इस जगह का तापमान भी दिन और रात में काफी अलग होता है। दिन में फल-फूल को भरपूर मात्रा में सूर्य की रोशनी और अलट्रॉ वायलट किरणें मिलती है। इसी वजह से सेब का रंग गहरे लाल रंग से बदलते हुए बैंगनी कलर का हो जाता है। ब्लैक डायमंड एप्पल की खेती करने वाली कंपनी की मार्केट डायरेक्टर का कहना है कि ‘इस सेब का स्ट्रक्चर काफी आकर्षक होता है यह ऐसा दिखता है जैसे कि सेब पर वैक्स लगा हो जो कि काफी चमकदार होता है।
2015 से शुरू हुई खेती
इस सेब की खेती वर्ष 2015 से शुरू हुई है। हालांकि तीन साल बाद भी चुनिंदा पेड़ों पर ही यह फल लग रहे है। इन सेबों की खपत मुख्य रूप से बीजिंग, शंघाई, गुआंगजौ और शेन्जेन के सुपरमार्केट में हो रही है। इसे आमतौर पर 6-8 सेब के गिफ्ट पैक में बेचा जाता है। एक ब्लैक डायमंड सेब की कीमत 50 युआन है।