गरीबी हर इंसान को लड़ना और जीने का सही मतलब सिखाती है। लेकिन इस दौरान बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो या तो सही रास्ता पकड़ लेते हैं या फिर वह गलत संगति में पढ़ कर अपने आगे की जिंदगी में कुछ ना कुछ गलत करते हैं। लेकिन इस विपरीत परिस्थिति में जिस इंसान ने डटकर गरीबी का सामना किया है उसने आगे चलकर बहुत बड़ा नाम भी कमाया है। आज हमारे बीच समाज में ऐसे बहुत से उदाहरण मौजूद हैं। जिन्होंने गरीबी से उठकर आज खुद का बड़ा एंपायर खड़ा किया है।
विपरीत परिस्थिति में बस एक ही चीज आपका सहारा देती है वह आपका हुनर और आपका आत्मविश्वास आज हम इस आर्टिकल में एक ऐसी ही महिला की जिंदगी से जुड़ी बातें आपको बताने जा रहे हैं जिन्होंने अपनी जिंदगी में काफी खुश संघर्ष किया लेकिन उन्होंने अपने हुनर और अपने आत्मविश्वास से कभी हार नहीं मानी यही कारण है कि आज अपने परिवार के साथ ही और भी महिलाओं को सहारा दे रही है और आत्मनिर्भर बनने का सही संदेश उन्होंने महिलाओं को दिया है।
दरअसल, हम बात कर रहे हैं समराला के गांव भगवानपुरा की रहने वाली चरणजीत कौर की जिनका जीवन बहुत ज्यादा गरीबी में गुजरा है लेकिन उन्होंने अपनी हिम्मत और अपने हुनर को ढाल बनाते हुए आज अपनी जिंदगी को काफी बदल दिया है इतना ही नहीं पर अपने साथ अन्य महिलाओं की जिंदगी को भी आत्मनिर्भर बना रही है। चरणजीत कौर का परिवार भी काफी बड़ा है और कमाने वाले केवल उनके पिता थे। उन्होंने बताया कि उनके घर में पांच बहन और एक भाई है। लेकिन कमाने वाले सिर्फ उनके पिता जो जूते बनाने का काम किया करते थे।
चरणजीत अपने गरीबी के दौर के बारे में बताती है कि घर का भार संभालने के लिए उन्होंने भी सिलाई सेंटर में काम करना चालू कर दिया लेकिन इसके बाद भी गरीबी कम होने का नाम नहीं ले रही थी। कुछ हद तक उनके पिता को उनका सहारा था लेकिन इस दौरान ही उनकी शादी हो गई शादी के बाद भी उन्होंने काफी कुछ संघर्ष किया और गरीबी देखी। अपने पति के साथ काम किया। लेकिन इसके बाद भी स्थिति सामान्य नहीं थी क्योंकि उनके सिर पर 3 बच्चों का बोझ हो गया था ऐसे में उन्होंने घर में मौजूद कपड़ों से ही बैग बनाने का काम चालू किया।
इन्हें बेचने के लिए भी वे खुद बाजारों में जाया करती थी और जितने आर्डर मिलते थे फिर उन पर काम करते हुए बैक का निर्माण किया करती थी। इतना ही नहीं उन्होंने आगे बताया कि धीरे-धीरे काम बड़ा होता चला गया उन्हें ऑर्डर मिलने लगे इस दौरान ही उन्हें सुखदेव कौर नाम की महिला ने ग्रुप बनाकर काम करने की सलाह दी यह सलाह चरणजीत कौर को भी सही लगी तो उन्होंने आगे से गुरु अर्जुन देव सेल्फ हेल्प ग्रुप बना कर काम करना चालू कर दिया। उनके ग्रुप में आज उनकी तरह ही गरीबी से जूझ रही बहुत सी महिलाएं जुड़ी हुई है।
चरणजीत कौर ने अपने बैग वाले काम के बारे में बताते हुए कहा कि उनके यहां 36 प्रकार के बैग बनाए जाते हैं जिनकी कीमत 50 रुपए से लगाकर 1200 रुपए तक होती है। उनके ग्रुप में आठ सिलाई मशीन मौजूद है जिन से बैग बनाने का काम करती हैं इस दौरान वे कई तरह के कपड़ों से बेगो का निर्माण करती है जिसमें जींस, काटन, मैटी, जूट, लेदर व नार्मल कपड़े शामिल हैं। वहीं बड़े स्तर पर बनाए जाने वाले इन बेड को लुधियाना और चंडीगढ़ में लगने वाले बाजारों और पप्रदशनियों में बेचा जाता है।
चरणजीत कौर ने बताया कि उनके यहां बैग के अलावा हाथों के दस्ताने भी बनाए जाते हैं जिनका काफी ज्यादा चलन रहता है इसके अलावा और भी कई तरह के कपड़ों से बने प्रोडक्ट का निर्माण करती है जिनसे उन्हें बाजार में 50 से 100 रूपए एक प्रोडक्ट के हिसाब से मिल जाते हैं। उन्होंने आगे बताया कि उनका काम यहीं तक सीमित नहीं है उनके द्वारा पार्टियों और बड़े समारोह में खाना बनाने का भी ऑर्डर लिया जाता है उनकी टीम द्वारा एक बार में 1000 से ज्यादा लोगों का खाना बनाया जाता है।
वह इस तरह के काम के बाद में जो भी पैसा निकल कर आता है उसे सभी महिलाओं में बराबर रूप से बांट लिया जाता है। आज चरणजीत कौर हिम्मत के चलते कई महिलाएं अपने परिवार को पालने में सफल रहे हो रही है। आज देश में ऐसी बहुत सी महिलाएं हैं जो खुद को आत्मनिर्भर बनाने का काम कर रही है।