Modi Govt : भारत सरकार ने चावल की बढ़ रही कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए बीते हफ्ते नन बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया। अब सरकार के इस निर्णय का प्रभाव अमेरिका में दिख रहा है। राइस एक्सपोर्ट प्रतिबंध होने से विश्व के कई मुल्कों में किल्लत हो सकती है। जिससे इनके कीमत में बढ़ोतरी होंगे। लिहाजा अमेरिका के लोग चावल खरीदने के लिए दुकान के बाहर लंबी कतार में खड़े हो रहे हैं।
अमेरिका के बाजार में चावल खरीदने के लिए होड़ मच गई है। बता दें कि इंडिया चावल का सबसे बड़ा आयातक मुल्क माना जाता है। अब केंद्र सरकार ने देश में कीमत को कम करने के लिए यह निर्णय लिया। अब इस निर्णय का प्रभाव अमेरिका ही नहीं समूचे विश्व के कई मुल्कों में देखने को मिल सकता है।
इन मूल्कों में होता है सबसे अधिक निर्यात
इंडिया नॉन बासमती चावल का निर्यात विश्व के कई मूल्कों में करता है। इनमें अमेरिका के साथ ही कैमरुन, नेपाल और फिलीपींस जैसे देश है। एक रिपोर्ट के अनुसार विश्व की आधी जनसंख्या का मुख्य खाना चावल ही माना जाता है। अब स्वभाविक है कि निर्यात नहीं होने की स्थिति में इन मुल्कों में चावल की कमी होगी। ऐसे में डिमांड और सप्लाई के चक्कर में इनसे कीमत बढ़ने फिक्स हैं।
NRIs in parts of America and Canada – driven by rumour that Indian wheat and rice will no more be available here due to export ban – rush to stores to buy as much Indian wheat and rice as they can. pic.twitter.com/fx4LMuWfkC
— DeshGujarat (@DeshGujarat) July 23, 2023
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अमेरिका में भीड़ की वजह
बता दें कि अमेरिका में बड़ी संख्या में इंडियन रहते हैं। बीते आप तक केंद्र सरकार ने जब फैसला लिया तो अमेरिका के कुछ इलाकों में नॉन बासमती चावल के सप्लाई में ही कमी होने लगी। जिससे लोग अधिक से अधिक चावल खरीदने के लिए अमेरिका के मार्केट में भीड़ लगा रहे हैं। इन्हें मालूम है कि अब चावल की कीमत और बढ़ेंगे। यहां के दुकानों में लोगों के बीच चावल खरीदने के लिए अफरातफरी मच गई है।
फैसला लेने का कारण
देश में पिछले कुछ दिनों से अदरक और टमाटर जैसी सब्जियों की कीमतों में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। सब्जियों और टमाटर के बाहर चावल की कीमत भी बढ़ने स्टार्ट हो गए हैं। विशेष रुप से नॉन बासमती चावल की कीमत में 10 से 18 प्रतिशत तक बढ़ोतरी देखने को मिला। ऐसे में सरकार ने फैसला लिया कि इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगाया जाए जिससे कीमतों में बढ़ोतरी नहीं हो सकें।