First Film on Ramayan : मेगा बजट फिल्म आदिपुरुष (Adipurush) की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही है भारी आलोचनाओं के बीच बॉलीवुड इंडस्ट्री ने भी इस फिल्म से किनारा कर लिया है। यही वजह है कि बॉक्स ऑफिस पर यह फिल्म दर्शकों के लिए तरसती दिखाई दे रही है। लेकिन आज भी लेखक मनोज मुंतशिर (Manoj Muntashir) के डायलॉग खूब आलोचनाओं का शिकार हो रहे हैं। बॉलीवुड में इतने भावुक और आस्था से जुड़े विषय पर फिल्में कम ही बनती है लेकिन ओम रावत (Om Raut) के निर्देशन में बनी यह फिल्म किसी भी रूप से भगवान राम की गाथा को दिखाने में असफल रही। बॉलीवुड में यह पहला मौका नहीं है जब रामायण जैसे विषय पर कोई फिल्म बनी हो इससे पहले भी फिल्में बनी है।
100 वर्ष पहले मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम पर बॉलीवुड की पहली फिल्म लंका दहन (Lanka Dahan) बनी थी जिसे दादा साहब फाल्के (Dada Saheb Falke) ने लिखा था। यह फिल्म दादा साहब फाल्के द्वारा डायरेक्ट की हुई थी इसीलिए दर्शकों के लिए यह फिल्म कई महीनों तक खास थी और आज भी है। बिना डायलॉग और म्यूजिक के बनी इस फिल्म में अन्ना सालुंके (Anna Salunke) के लीड रोल में थे। अन्ना सालुंके ने भगवान श्री राम और माता सीता दोनों की भूमिका निभाई थी। यह भारतीय सिनेमा की पहली वह फिल्म थी जिसमें एक ही कलाकार ने महिला और पुरुष का लीड रोल प्ले किया था।
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अन्ना को देखने आते थे लोग
यह उस समय की सुपर हिट फिल्म थी जिसे देखने के लिए लोगों में इतनी ज्यादा दीवानगी थी कि कई किलोमीटर तक लंबी लाइन सिनेमा हॉल के बाहर लग जाती थी। लंका दहन कि यह कहानी जनता को काफी पसंद आई थी और उससे भी ज्यादा अन्ना सालुंके की अदाकारी। दादा साहब फाल्के ने इस कहानी को इस रूप में लिखा था कि लोगों ने इसे एक सच्ची पटकथा मान लिया था और जिसे देखने लोग मीलों का सफर करके सिनेमा घर पहुंचते थे। उस समय देश में ऐसा माहौल था कि लोग एक दूसरे को इस फिल्म को देखने के लिए प्रोत्साहित करते थे।
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दादा साहब फाल्के द्वारा निर्मित लंका दहन रामायण पर बनी पहली फिल्म थी जिसने सिनेमाघर को मंदिर का दर्जा दिलवा दिया था। लोगों में इस फिल्म के प्रति अपार श्रद्धा थी और यही कारण था कि लोक सिनेमा हॉल के बाहर जूते चप्पल उतार कर जाते थे और हाथ जोड़कर इस फिल्म को देखते थे। उस समय इस फिल्म ने उस समय 35 करोड़ कब बिजनेस किया था और रिकॉर्ड 23 हफ्तों तक यह फिल्म मुंबई के सिनेमाघरों में दिखाई गई थी।