आरएसएस बच्चों को पढ़ाने के लिए खोलेगा मोहल्ला-ग्राम शिक्षा केंद्र, कांसेप्ट हो रहा डेवलप

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आरराष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) कोरोना काल में एक नई पहल करने जा रहा है। संघ को मिले फीडबैक के अनुसार आनलाइन क्लासेस से सभी बच्चे अपने संसाधन के अभाव में नहीं जुड़ पा रहे हैं। हालांकि, आनलाइन क्लासेस काफी प्रभावी साबित हो पा रही हैं। पर, जो बच्चे कोरोना काल में अपनी पढ़ाई के लिए किसी अन्य विकल्प की तलाश में हैं, संघ अब उनको पढ़ाएगा।

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अपने दो दिवसीय प्रवास पर भोपाल आए संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने संघ के पदाधिकारियों से कहा कि मोहल्ला एवं ग्रामीण शिक्षा केंद्र खोले जाएं, ताकि, वंचित बच्चों को पढ़ाई की सुविधा और स्कूल का पूरा माहौल मिल सके। संघ प्रमुख ने इस कांसेप्ट को डेवलप करने के लिए कहा है।

अब संघ पदाधिकारी इस कांसेप्ट की ड्रफ्टिंग करके इसे जमीन पर उतारेंगे। अभी यह पता नहीं चल सका है कि यह स्कूल भी ऑनलाइन होंगे या आफलाइन? यानी बच्चों को कैसे, कितनी संख्या में, कितनी देर के लिए , किन स्थितियों में इन केंद्रों में बुलाया जाएगा और उन्हें कौन पढ़ाएगा या केवल बच्चों को पाठ्य सामग्री ही दी जाएगी?

गौर हो कि डॉ. भागवत ने वर्तमान चुनौतियों एवं आने वाले समय को ध्यान में रखकर कार्य करने के लिए मध्यभारत एवं मालवा प्रांत के प्रमुख स्वयंसेवकों का प्रबोधन किया। उन्होंने रविवार को ठेंगड़ी भवन में दोनों प्रांतों के चयनित स्वयंसेवकों के साथ सीधा संवाद किया। संघ की इस बैठक में शारीरिक दूरी एवं कोराना से संबंधित अन्य दिशा-निर्देशों का पूरी तरह पालन किया गया। डॉ. भागवत सोमवार को नागपुर के लिए रवाना होंगे। वहां से 15-16 अगस्त को छत्तीसगढ़ के प्रवास पर जाएंगे।

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भागवत ने पर्यावरण और परिवारों पर भी काम करने को कहा- मध्यभारत प्रांत के संघचालक सतीश पिंपलीकर के मुतबिक संघ प्रमुख ने मोहल्ला एवं ग्रामीण शिक्षा केंद्र संचालित करने का आह्वान स्वयंसेवकों से किया है। क्योंकि,कोरोना महामारी के कारण बच्चों की शिक्षा प्रभावित हुई है, उस पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।

विद्यार्थियों का नुकसान न हो और कोई शिक्षा से पीछे न छूट जाए इसलिए नगरों में मोहल्ला स्तर एवं प्रत्येक गांव में शिक्षा केंद्र संचालित किए जाने चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने पर्यावरण और कुटुंब प्रबोधन जैसे विषयों पर भी कार्य करने के लिए मार्गदर्शन दिया। सरसंघचालक ने स्वयंसेवकों को बताया कि समरसता को लेकर समाज में अनुकूलता बनी है। यह समाज का स्थायी भाव बने, इसके लिए स्वयंसेवकों को प्रयास करना चाहिए।

घुमंतू जातियों के लिए भी संघ चिंतित

बैठक में संघ प्रमुख को जानकारी दी गई कि कोरोना संक्रमण एवं लॉकडाउन में घुमंतू जाति ( ईरानी , सपेरा ,कंजर , पारदी , लोचपीटा , बेड़िया ,मोंगिया ,लुहार , बंजारा , नट , अगरिया , सिखसिकलिकर ) के बंधुओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा था। घुमंतू जाति के बंधु परिवार के साथ एक स्थान से दूसरे स्थान तक रोजगार एवं अन्य कारणों से यात्रा करते रहते हैं। जब लॉकडाउन लगा तो कई परिवार मध्यप्रदेश के अनेक क्षेत्रों में भी फंस गए थे।

स्वयंसेवकों ने इन परिवारों की चिंता की और उन तक सहायता पहुंचाई। स्वयंसेवकों द्वारा 2628 परिवारों तक भोजन, मेडिकल समेत अन्य आवश्यक वस्तुएं पहुंचाई गईं। प्रवासी श्रमिकों एवं युवाओं के लिए संघ ने विभिन्न स्थानों पर हेल्प डेस्क बनाए हैं, जिनके माध्यम से स्वरोजगार एवं स्वावलंबन हेतु उन्हें आवश्यक जानकारियां उपलब्ध कराई जा रहीं है, जिसका समाज से अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है।


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