New Year 2023: पूरा विश्व जहां नववर्ष को लेकर उत्साहित है वह पूरे जोश के साथ इसका स्वागत कर रहा है वहीं भारत का एक राज्य ऐसा है जहां नए साल का जश्न नहीं मनाया जाता है। आज हम आपको भारत के झारखंड राज्य के उस जिले से अवगत कराएंगे जहां नए साल का जश्न नहीं गम मनाया जाता है। इस जिले की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस दिन शहीदों को याद करते हुए उनकी याद में मेला लगाया जाता है।

हम बात कर रहे हैं झारखंड जिले के सबसे बड़े औद्योगिक जिले सरायकेला खरसावां की जहां झारखंड और उड़ीसा के आदिवासी समुदाय द्वारा शहीदों को याद किया जाता है। इस दिन की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इस दिन झारखंड का जो भी मुख्यमंत्री होता है वह अपनी उपस्थिति अनिवार्य रूप से देता है। इस बार भी झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन समाधि स्थल पर पहुंचे और श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रशासन द्वारा भी इस आयोजन को लेकर पूरी तैयारी की गई थी।
क्या है पूरी कहानी ?
1947 में भारत की आजादी के बाद झारखंड राज्य पुनर्गठन की ओर बढ़ रहा था तभी खरसावां व सरायकेला का विलय उड़ीसा राज्य में किया गया था। इस पुनर्गठन के लिए 1 जनवरी को कार्यभार का आदान-प्रदान करना निश्चित हुआ था लेकिन अचानक ही आदिवासी नेता जयपाल सिंह मुंडा ने इसके विरोध में खरसावां मैदान पर एक विशाल जनसमुदाय का आह्वान किया था।
हजारों की संख्या में लोकी सावन में पहुंचे थे लेकिन इस दिन साप्ताहिक बाजार होने के कारण जन समुदाय की संख्या बहुत अधिक थी। आदिवासी नेता जयपाल सिंह इस विशाल जनसभा को आह्वान करने के लिए नहीं पहुंच पाए तभी जनसभा में पहुंचे लोगों और पुलिस के बीच विवाद हो गया। विवाद इतना ज्यादा था कि हजारों की संख्या में लोग शहीद हुए और तभी से इस क्षेत्र को शहीदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।