प्रधान मंत्री ने ट्वीट करते हुए बताया की “मेजर ध्यानचंद भारत के उन खिलाड़ियों में से एक है जिन्होंने भारत को विश्वपटल पर सम्मान और गौरव दिलाया है। इसलिए हमारे देश का सर्वोच्च खेल सम्मान उन्ही के नाम पर दिया जायेगा।”
यानी की देश का सर्वोच्च खेल रत्न पुरस्कार अब राजीव गाँधी के नाम से नहीं बल्कि हॉकी के जादूगर कहलाने वाले मेजर ध्यानचंद के नाम से ये खेल पुरस्कार दिया जायेगा। प्रधानमंत्री ने ट्वीट करते हुए ये जानकारी शेयर की है, मेजर ध्यानचंद ने हॉकी के खेल में अद्भुत योगदान दिया है। मेजर ने अपने आखिरी ओलिंपिक में कुल 13 गोल कर दिए थे। ठीक इसी तरह एम्स्टर्डम, लॉस एंजेलिस और बर्लिन ओलंपिक को अगर मिलाकर देखा जाये तो ध्यानचंद ने कुल 39 गोल किए थे. जो उनके बेहतरीन खेल को दर्शाते है।
यही वजह है की अब मोदी सरकार ने इस पर बड़ा फैसला लेते हुए राजीव गाँधी का नाम अब खेल रत्न पुरस्कार से हटा दिया है। मोदी ने कहा की टोक्यो ओलिंपिक में इंडियन टीम के प्रदर्शन से पूरा देश गौरान्वित हो रहा है। साथ ही उन्होंने कहा की हॉकी में अब लोगो का मन फिर से जुड़ता जा रहा है जो भविष्य के लिए एक अच्छा संकेत माना जा सकता है। आपको बता दे की खेल रत्न पुरस्कार के साथ 25 लाख रूपए की नकद राशि दी जाती है।
मेजर ध्यानचंद के जन्मदिन 29 अगस्त को को भारत में राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन हर साल खेल में जो अच्छा प्रदर्शन करते है उन्हें खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है। इसके साथ ही अर्जुन और द्रोणाचार्य पुरस्कार भी इसी दिन दिए जाते है। बात करे इस अवार्ड के शुरुआत की तो इसकी शुरुआत साल 1991-92 से की गयी थी।
बार करे टोक्यो ओलिंपिक की तो महिला और पुरुष दोनों ही हॉकी टीम ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए लोगो का दिल जीत लिया है। जिसके बाद लोग फिरसे हॉकी की तरफ खींचे चले आ रहे है और इस खेल को भी प्यार दे रहे है। जहाँ 41 साल बाद पुरुष टीम पदक अपने नाम हासिल करने में सफल रही तो वहीँ महिला टीम भी पहली बार सेमीफाइनल तक पहुंचने में सफल हुयी है। पुरुषो की हॉकी टीम ने आखिरी बार सन 1980 में मास्को में मैडल जीता था, उस वक़्त हॉकी टीम ने गोल्ड मैडल हासिल किया था।