Dev Anand Family : क्या आप जानते हैं देव आनंद के परिवार में कौन-कौन हैं और क्यों लाइमलाइट से रहते हैं दूर, जानिए वजह

Follow Us
Share on

Dev Anand Family : 26 सितंबर 1923 को तहसील शंकरगढ़ जिला गुरदासपुर पंजाब में हाई कोर्ट के जाने-माने वकील पिशोरीमल आनंद के घर एक लड़के का जन्म हुआ। इस लड़के का नाम धर्मदेव रखा गया जो आगे चलकर सिर्फ देव रह गया। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के लोग उन्हें देव आनंद साहब कहना चाहते थे लेकिन देव आनंद अपनी चिर युवा पर्सनालिटी के वजह से सिर्फ देव कहलाना पसंद करते थे।

New WAP

उनका एक दांत टूटा हुआ था यही वजह थी कि उनकी स्माइल बहुत ही मनमोहक थी। उनके चेहरे पर भोलापन दिखता था और जब भी वह सूट-बूट पहनते थे तो एकदम छैल छबीला मुंबई बाबू लगते थे। आपको उनके परिवार के बारे में शायद जानकारी नहीं होगी।

जानिए Dev Anand Family के सदस्यों को

देव आनंद के दो भाई थे उनके छोटे भाई का नाम विजय आनंद उर्फ गोल्डी था जो की देवानंद की तरह ही काफी हैंडसम थे। उन्होंने देव आनंद को आगे बढ़ाने के लिए काफी मेहनत की लेकिन क्या आपको पता है परिवार में यह तीन भाई थे। तो आईए जानते हैं उनके परिवार में कौन-कौन थे।

मनमोहन आनंद

New WAP

देवानंद के बड़े भाई का नाम मनमोहन आनंद था। जो अपने पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए गुरदासपुर हाई कोर्ट में अधिवक्ता बने और खूब नाम कमाया। उन्हें फिल्मों से कोई लेना देना नहीं था और इस बारे में देव भी कुछ खास नहीं बता पाए थे। हालांकि मनमोहन आनंद के बेटे आगे चलकर अपने चाचा देव आनंद और चेतन की फिल्म कंपनी नवकेतन में प्रोडक्शन असिस्टेंट में काम करने लगे फिर वह शबाना आजमी और जैकी श्रॉफ के सेक्रेटरी रहे।

चेतन आनंद

देवानंद के दूसरे भाई 1915 में लाहौर में जन्मे और वहीं के गवर्नमेंट कॉलेज से इंग्लिश में ग्रेजुएशन किया। उनके पिता चाहते थे कि वह आईएएस अफसर बने लेकिन वह लंदन चले गए और पढ़ाई पर तो कम लेकिन ड्रामा थिएटर सीखने पर ज्यादा ध्यान देने लगे। लौटने के बाद वह दून स्कूल में इंग्लिश, टेनिस, ड्रामा और इतिहास पढ़ते हुए सम्राट अशोक पर एक पटकथा लिखें। 1943 में छुट्टियों में वह मुंबई गए और मुंबई में ख्वाजा अहमद अब्बास, किशोर एस और फणी मजूमदार आदि से मिले। फणी ने नरगिस के साथ राजकुमार नाम की फिल्म में बतौर हीरो ले लिया और बॉक्स ऑफिस पर यह फिल्म फ्लॉप हो गई।

देव आनंद की सफलता में भाइयों का योगदान

1944 में देहरादून के दून स्कूल की नौकरी से उन्होंने इस्तीफा दे दिया और 2 साल बाद मैक्सिम गोर्की की कहानी पर एक फिल्म बनाई नीचा नगर। इस फिल्म को सर्वोच्च सम्मान मिला।

उनका शादी उमा चटर्जी से हुई और उमा की मां इला चटर्जी की चचेरी बहन मोना सिंह से चैतन्य अपने भाई देवानंद के साथ फिल्म टैक्सी ड्राइवर में प्रमुख अभिनेत्री के रूप में लिया। यहां पर मोना का नाम कल्पना कार्तिक रखा गया और देव आनंद को कल्पना से मोहब्बत हो गई। दोनों ने शादी कर ली और उनके दो बेटे हुए जिनका नाम केतन और विवेक रखा गया। बाद में दोनों का तलाक हो गया उसके बाद देव आनंद की भाभी उमा चटर्जी आनंद ने भी प्रसिद्ध थिएटर पर्सनालिटी इब्राहिम अलका जी के साथ नए रिश्ते की शुरुआत कर ली।

विजय आनंद उर्फ गोल्डी

देवानंद की स्टाइल, तौर तरीकों और शिष्टाचार के पीछे उनके बड़े भाई चेतन आनंद का ही योगदान था। वही देव के कई सफल फिल्मों जैसे की नौ दो ग्यारह काला बाजार तेरे घर के सामने आदि का रचनात्मक निर्देशन विजय आनंद ने किया। उन्हें कमर्शियल सिनेमा की गहरी पहचान थी इसलिए वह काफी अच्छी किस्म की कहानी लिखते थे। विजय आनंद काफी छोटे थे तभी उनकी माता जी का निधन हो गया था इसलिए बड़े भाई चेतन और उनकी पत्नी उमा ही उनके माता-पिता की तरह थे। देवानंद भी उनसे 10 साल बड़े थे इसलिए वह कभी खुलकर नहीं बोल पाए कि वह फिल्म बनाना चाहते हैं। लेकिन एक दिन उन्होंने अपने भाई देव आनंद को अपने फिल्म के स्क्रिप्ट सुनाई।

देव आनंद की बहनें जुडी है फिल्मों से

यह भी पढ़ें : अधूरी रह गई थी देव आनंद और सुरैया की प्रेम कहानी धर्म बनी थी वजह, जानिए कहानी के बारे में

शशिकांता कपूर

तीनों भाइयों की एक बहन भी थी जिनका फिल्म इंडस्ट्री से काफी गहरा नाता था। वह एक जर्नलिस्ट थी और स्टेज पर ड्रामा में भाग लेती थी। उनकी शादी डॉक्टर कुलभूषण कपूर से हुई। सुप्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय फिल्मकार शेखर कपूर उनके पुत्र हैं। शेखर कपूर की तीन बहने हैं जिसमें सबसे बड़ी नीलू कपूर।

उषा मधुक

देवानंद की एक और बहन है जिनका नाम उषा है। हिंदी फिल्मों में महान संगीतकार नौशाद को ब्रेक दिलाने वाले सफल गीतकार और महाकवि श्री डीएन मधोक के सुपुत्र डॉक्टर पृथ्वी मधोक से उषा का विवाह हुआ। दोनों के चार बच्चे हुए बिमला, वीरेंदर, पुनीत और कमला।


Share on