आदिपुरुष पर दिए अपने बयान पर मुकेश खन्ना को आर्टिस्ट उर्फी जावेद ने लताड़ा, बताया सनकी बूढ़ा

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Urfi Javed on Mukesh Khanna : फिल्म आदिपुरुष (Adipurush) को लेकर कई लोगों के तरह-तरह के बयान सामने आ रहे हैं। फिल्म को लेकर रामायण की स्टारकास्ट ने पहले ही नाराजगी जाहिर कर दी है तो वही शक्तिमान उर्फ मुकेश खन्ना (Mukesh Khanna) भी फिल्म को लेकर काफी दुखी है। हर दिन मुकेश खन्ना फिल्म आदिपुरुष को लेकर विवादित बातें करते आ रहे हैं। उनके विवादित बयानों में सबसे ऊपर है “आदि पुरुष फिल्म बनाने वालों को 50 डिग्री तापमान पर जिंदा जला देना चाहिए।” व्यक्तित्व के धनी मुकेश खन्ना को इस तरह की बातें क्या शोभा देती है?

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मुकेश खन्ना (Mukesh Khanna) के फिल्म आदिपुरुष (Adipurush) पर दिए विवादित बयानों पर लोग उन्हें ट्रोल कर रहे हैं और गलत बता रहे हैं। ऐसे में ऊर्फी जावेद (Urfi Javed) ने भी मुकेश खन्ना को लेकर अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट किया और मजबूती से अपनी बात रखी। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि “यार यह आदमी पूरा पागल है मैं मानती हूं कि फिल्म थोड़ी बुरी जरूर है लेकिन दोस्तों कृपया करके किसी को जलाना मत।” वास्तव में मुझे ऐसा लगता है कि लोगों के बीच हिंसा को भड़काने के लिए इस आदमी को जेल में बंद कर देना चाहिए।

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उर्फी जावेद ने मुकेश खन्ना को दिया जवाब

मुकेश खन्ना (Mukesh Khanna) के विवादित बयानों से ऊर्फी जावेद (Urfi Javed) इतनी नाराज थी कि उन्होंने एक और ट्वीट करते हुए लिखा कि “शक्तिमान यार आप आलोचना कर सकते हैं अगर आपको कुछ पसंद ना आए किसी को मार थोड़ी ना सकते हो वह भी जान से।” मुझे रोना आ रहा है मैंने शक्तिमान क्यों देखा बचपन में। अगर शक्तिमान ऐसा ही विवादित है तो इसे भारतीय सिनेमा से बाहर फेंक देना चाहिए। मुकेश खन्ना के बयानों पर ऊर्फी जावेद ने कठोरता से वार किया है। हर किसी व्यक्ति को अपनी नाराजगी जाहिर करने का पूरा अधिकार है लेकिन इस तरह का तरीका किसी भी लिहाज से सही नहीं है।

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फिल्म आदिपुरुष (Adipurush) को लेकर इससे पहले भी मुकेश खन्ना (Mukesh Khanna) अपनी नाराजगी में कह चुके हैं कि सबसे बड़ी गलती ओम राउत (Om Raut) की है फिर आते हैं मुंतशिर जो कहते हैं कि वह बड़े राइटर है। इन दोनों की बचकानी बातें सुनकर मुझे बहुत बुरा लगा मुझे लगा था कि इतनी आलोचना के बाद यह चेहरा नहीं दिखाएंगे। लेकिन यह हर दिन फिल्म को लेकर अलग-अलग सफाई दे रहे हैं कि यह वाल्मीकि जी का वर्जन था, फिर तुलसीदास जी का वर्जन था, फिर रामानंद जी का वर्जन था, उसके बाद हमारा वर्जन है। मैं पूछता हूं कि आप अपना वर्जन बनाने वाले होते ही कौन है आपको यह किसने अधिकार दिया।


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