आज हम बात कर रहे है, मध्यप्रदेश के डिंडोरी जिले की जहा पर एक शिक्षक ने अपनी पत्नी को सिर्फ इसलिए छोड़ दिया, की वह अपने सपनों का स्कूल बनाना चाहता था।
आइए जानते है क्या है पूरा मामला, आखिर क्यों होना पड़ा शिक्षक को अपनी पत्नी से दूर, दरअसल मामला कुछ यूं है कि शिक्षक अपना पूरा समय स्कूल में ही गुजारते थे। अपना सारा समय, स्कूल की देखरेख साफ-सफाई इत्त्यादी में जुगार दिया करते थे। जिसके चलते उनकी पत्नी ने तोड़ लिया रिश्ता, और शिक्षक ने अपनी अनोखी पहचान उसी के रूप में बनाई है।
बात मध्य प्रदेश के डिंडौरी जिले की हो रही है, जँहा एक शिक्षक को स्कूल से इतना प्यार है कि उसने उसे ही अपने सपनो का घर बना लिया है।आपको शिक्षक का स्कूल प्रेम देखकर हैरानी तो हुई होगी, लेकिन शिक्षक का यही स्कूल प्रेम उनसे उनकी पत्नी को अलग करा बैठा है, ओर पत्नी ने उनके इसी प्रेम को लेकर सारे रिस्ते नाते तोड़ दिए है,ओर घर के साथ उनकी ज़िंदगी से भी अलग-थलग जा चुकी है। फिर भी शिक्षक के स्कूल और शिक्षा के प्रति लगाव कम नही हुआ, यह अजीबोगरीब मामला अमरपुर विकासखंड के परसेल गांव का है, जहां डोंगीटोला प्राथमिक शाला में पदस्थ शिक्षक जगदीश धुर्वे की कहानी फ़िल्मी जरूर लगती है, लेकिन यह रियल लाइफ स्टोरी है।
क्या रही वजह, जिससे उनका स्कूल प्रेम इतना वायरल हो गया, आइये जानते है, स्कूल के पीछे का प्रेम।
दरअसल, बात जबकि है, तब शिक्षक बच्चे हुआ करते थे। सालों पहले जब गांव में स्कूल भवन नहीं था, तब से ही शिक्षक जगदीश धुर्वे के घर पर स्कूल संचालित हुआ करता था। जैसे-जैसे जगदीश बड़े होते गए वैसे-वैसे उनका यह प्रेम भी बढ़ते गया। शिक्षक जगदीश के पिता ने स्कूल भवन के लिए जमीन दान कर दी, बचपन से ही घर में स्कूल का माहौल देख जगदीश का शिक्षा के प्रति इतना लगाव हो गया कि वह अपना सारा समय स्कूल में ही गुजारा करते थे। उनके इसी रवैये के कारण सालों पहले नाता तोड़कर उनकी पत्नी चली गई। बावजूद इसके शिक्षक जगदीश का मनोबल कम नही हुआ, ओर वक़्त के साथ-साथ उनका यह प्रेम और भी मजबूत होते गया। इसमे बढ़िया बात यह है कि शिक्षा के प्रति उनके त्याग, समर्पण और दृढ़निश्चय बढ़ता ही चला गया। इसी हौसले को देखकर डोंगीटोला प्राथमिक शाला में दूसरे गांव के बच्चे भी अपना दाखिला करा रहे हैं।
शिक्षक के हौसलों की आवाज,खुद शिक्षक की जुबानी।
पढ़ाई के साथ-साथ शिक्षक जगदीश बच्चों को बागवानी के गुर भी सिखा रहे हैं। जिसका अंदाजा स्कूल परिसर की साफ सफाई और हरियाली को देखकर लगाया जा सकता है। शिक्षक की मानें तो अब स्कूल ही उनका घर है और सभी छात्र उनके बच्चे हैं। जबकि जनशिक्षक संतोष मिश्रा भी स्कूल और शिक्षा के प्रति शिक्षक का समर्पण और त्याग देख गदगद नजर आ रहे हैं। शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष देवेंद्र दीक्षित ने शिक्षक जगदीश को अन्य सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के लिए मिसाल बताया है।
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