Ayodhya Ram Temple: अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए राजस्थान से खास पत्थर सैकड़ो ट्रकों में रवाना

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राम मंदिर निर्माण को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद भरतपुर जिले के रूदावत क्षेत्र के बंसी पहाड़पुर के सफेद पत्थर अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर में अपनी चमक बिखेरेंगे। राम मंदिर के लिए करीब दो दशक पूर्व पत्थर तराशने का काम शुरू किया गया था। मंदिर निर्माण में क्षेत्र से निकलने वाले सेंडस्टोन का इस्तेमाल 60% से अधिक होगा। मंदिर में करीब 4 लाख घन फिट पत्थर इस्तेमाल होगा, जिसमें से 2.5 लाख घन फिट बंसी पहाड़पुर का स्टोन लगेगा।

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मजबूती और सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है पत्थर
बंसी पहाड़पुर के पत्थर की विशेषता मजबूती और सुंदरता के कारण सदियों से प्रसिद्ध है। इसमें अन्य पत्थरों के मुकाबले अधिक भार सहन करने की क्षमता और आसानी से पच्चीकारी होने की खासियत के कारण इसकी हमेशा से मांग रही है। इस पत्थर में रूनि यानि स्टोन कैंसर नहीं होता। बारिश से पत्थर के रंग में निखार आता है। पिंडवाड़ा में तराशे गए 192 पिलर और दीवार दो जिला राम मंदिर जिन पिलरों और दीवारों पर खड़ा होगा। उसे तराशने का काम सिरोही जिले के पिंडवाड़ा में किया गया था। प्रथम मंजिल पर ऐसे करीब 96 पिलर और दूसरी मंजिल पर भी इसी तरह के 96 पिलर हैं।

7 साल चला पत्थर तराशने का काम
यहां करीब 7 साल तक पत्थरों को तराशने का काम चला था। जहां प्रतिदिन 10 घंटे में 300 से अधिक कारीगर इन्हें तराशने का काम करते थे।राम मंदिर को लेकर जब कवायद शुरू हुई तब बयाना, भरतपुर से बंसी पहाड़पुर पत्थरों का चयन किया गया था। जबकि इन पत्थरों को तराशने के लिए पिंडवाड़ा को चुना गया। काम जल्द पूरा हो इसके लिए विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल, चंपत राय और राम बाबू जी ने जनवरी 1995 में पूजन कर यहां तीन कार्यशालाओं में कार्य शुरू करवाया था। सोमपुर मार्बल फैक्ट्री, भरत शिल्प कला केंद्र व महादेव शिल्प कला केंद्र में विश्व हिंदू परिषद द्वारा इन पत्थरों को तराशने का काम किया गया था।

दीवार और छत के पत्थर तैयार
बंसी पहाड़पुर के स्टोन से मंदिर में लगने वाले सभी 106 खंबे तैयार हो गए हैं। इसके अलावा सिंहद्वार, रंग मंडप, नृत्य मंडप, गर्भ ग्रह और परिक्रमा मार्ग बनेगा। शिखर की ऊंचाई 125 फीट रहेगी परिक्रमा मार्ग 10 फीट चौड़ा और दीवार 6 फुट होगी। मंदिर में चौखट में सजावट के लिए संगमरमर और अन्य पत्थर का इस्तेमाल होगा। खंबे, दीवार, छज्जे, महराब, झरोखे, छत के लिए पत्थर तैयार किए गए हैं। इनमें पच्चीकारी का काम लगभग पूरा हो गया।

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अयोध्या आंदोलन के समय बनी थी भरतपुर में बनी थी राम शिलाएं
1990 में हुए अयोध्या आंदोलन के दौरान भरतपुर प्रदेश का केंद्र रहा। इस आंदोलन में रामशिला पूजन के लिए श्री राम लिखी विशेष ईंट भरतपुर के ईंट भट्टों में तैयार हुई थी। आर एस एस तत्कालीन विभाग संघचालक सीताराम अग्रवाल ईंट भट्टों के बड़े कारोबारी थे। उनके भट्टों में गुप्त रूप से राम शीला ईंटों का निर्माण हुआ था।

महलपुरा और चुरा के पत्थरों की हुई जांच
महलपुरा, चूरा, तिघरा, छऊआमोड और सिरोंध क्षेत्र की खानों के पत्थर को टेस्टिंग के बाद चयनित किया गया। यहां रफ माल की कटिंग होने के बाद इसे अयोध्या रवाना किया जाएगा। पत्थर की आपूर्ति 6 माह तक होगी 10 से 20 ट्रक पत्थर प्रतिमाह भेजा जाएगा। इसके लिए विश्व हिंदू परिषद से कई ट्रॉले स्थाई रूप से किराए पर ले लिये हैं।

2600 कारसेवक पुरम भेजा जा रहा पत्थर
साल 2006 से अयोध्या के कारसेवक पुरम में पत्थर भेजा जा रहा है। अब तक एक लाख घन फीट पत्थर की आपूर्ति हो चुकी है। इसमें 70हजार घनफुट पत्थर पिंडवाड़ा की कार्यशाला में भेजा जा चुका है। पिछले दिनों 10 टोला पत्थर ले जाया गया। जिसमें 1 में 400 घनफुट माल था। अब डेढ़ लाख घन फिट पत्थर की आपूर्ति की जाएगी। इससे संबंधित खान मालिकों से विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारी संपर्क में है। इसकी पुष्टि विहिप के विभागाध्यक्ष सतीश भारद्वाज ने की है।


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