मोहन भागवत ने कहा अब हम बनारस और मथुरा में मस्जिद की जगह मंदिर बनाने की बात करने वालों में शामिल नहीं होंगे। करीब 35 साल पहले राष्ट्रीय स्वयं संघ ने राम जन्मभूमि आंदोलन के साथ खड़े होकर जिस तरह से इसे हिंदुत्व राष्ट्र की प्रतिष्ठा से जोड़ दिया था। वह शनिवार को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद उसके सिर से उतर गया है। यही वजह है कि फैसला आने के कुछ घंटों बाद मोहन भागवत सामने आये और खुशी जाहिर करते हुए कहा कि वह पूरी तरह से संतुष्ट हैं। राम जन्म भूमि आंदोलन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पहली बार 1984 में सामने आया था। मोहन भागवत ने कहा हम बनारस और मथुरा में मस्जिद की जगह मंदिर बनाने की बात करने वालों में नहीं होंगे। संघ प्रमुख ने कहा कि संघ कभी आंदोलन में शामिल नहीं है।इसका काम सिर्फ और सिर्फ चरित्र निर्माण करना है। भागवत ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि संघ विवाद का खात्मा चाहता था जो हो गया”।
शनिवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आयोजित प्रेस कान्फ्रेंस के बाद जब राष्ट्रीय स्वयं संघ के सरसंघचालक से पूछा गया कि क्या अयोध्या के बाद अब बनारस और मथुरा को लेकर आंदोलन किया जाएगा। इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा संघ आंदोलन नहीं करता मनुष्य निर्माण करता है हम वही करेंगे। भागवत के अनुसार अतीत की सभी बातों को भुलाकर हम सभी मिलकर राम जन्मभूमि पर भव्य राममंदिर के निर्माण में अपने कर्तव्य का पालन करेंगे आयोग ने अयोध्या के बाद काशी और मथुरा में भावी योजना के बारे में पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा संघ आंदोलन नहीं करता संघ का काम मनुष्य निर्माण है।
कुछ ऐतिहासिक पृष्ठभूमि रही है मेरे अखिल भारतीय पदाधिकारी बनने के पहले उसके कारण संघ इस रामजन्मभूमि आंदोलन में एक संगठन के नाते जुड़ गया। उन्होंने कहा आंदोलन के विषय हमारे विषय नहीं रहते हम इस बारे में कुछ नहीं कह सकते। मुस्लिमों के लिए उनका क्या संदेश होगा इस सवाल पर भागवत ने कहा, “भारत का नागरिक तो भारत का नागरिक है, उसमें हिंदू मुस्लिम के लिए अलग संदेश क्यों! हम सबको मिलकर रहना है, देश को आगे बढ़ाना है यह सदा सर्वदा के लिए हमारा संदेश है।”