Carl Gustaf M4 : आतंकियों का काल बनकर आया यह हथियार, घाटी में Carl Gustaf M4 लेकर उतरे कमांडो, जानिए इसकी खासियत

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Carl Gustaf M4 : जम्मू कश्मीर में बुधवार को आतंकियों से हुई मुठभेड़ में भारत के तीन जवान शहीद हो गए उसके बाद भारतीय सेवा ने सफाई अभियान शुरू कर दिया है। इस क्रम में आतंकियों को मार गिराने के लिए अपनी कमांडो को सबसे अत्याधुनिक और खतरनाक हथियार Carl Gustaf M4 के साथ उतारा गया है। तो आईए जानते हैं क्या है इस हथियार की खासियत।

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यह पूरी दुनिया में इस्तेमाल किए जाने वाला बेहद घातक हथियार है और यह बेहद तेज हथियार भी है। यह हथियार कभी भी अपनी टारगेट से नहीं चूकता है और इसे रिकॉइल लेस राइफल या गन भी कहा जाता है।

Carl Gustaf M4 कैसे बना महा हथियार

बता दे कि इस गन को स्वीडिश कंपनी साब के द्वारा बनाया जाता है। इसको चलाने के लिए कंधे पर रखने की जरूरत पड़ती है और इसका पूरा नाम कार्ल गुस्ताफ M4 रिकॉल लेस राइफल है। इस गन की सबसे पहले वेरिएंट को 1946 में दूसरे वेरिएंट को 1964 में और तीसरे वेरिएंट को 1986 में बनाया गया था।

भारतीय सेना के द्वारा पहली बार इसको स्वीडन के साथ सहयोग एग्रीमेंट पर खरीदा गया था। पहली बार इसकी खरीदारी 1976 में हुई। अभी के समय में इसकी मारक क्षमता 1500 मीटर है और अभी के समय में इसका निर्माण भारत के ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में होता है।

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बता दे कि इस गन को कम्युनिकेशंस इंडिया लिमिटेड और एडवांस्ड वेब एंड इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड के द्वारा मिलकर बनाया जाता है। भारत में फिलहाल इसे ऑर्डिनेंस फैक्ट्री M3 वेरिएंट का निर्माण करती है जिसकी मारक क्षमता लगभग 1200 किलोमीटर होती है।

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इसकी सबसे लेटेस्ट वेरिएंट को 2014 में लॉन्च किया गया। इसका वजन 6.6 किलोग्राम होता है और इसकी लंबाई 3 फीट 1 इंच होती है। इसको चलाने के लिए एक गनर और एक लोड करते समय दो लोगों की जरूरत पड़ जाती है।


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