नागपुर के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि, “सभी मनुष्य जानते हैं कि प्रकृति को नष्ट करने से नष्ट हो जाएगी। लेकिन प्रकृति को नष्ट करने का कार्य थमा नहीं। सबको पता है आपस में झगड़ा करने से दोनों की हानि होती है। लेकिन आपस में झगड़ा करने की बातें अभी तक बंद नहीं हुई है।”
महाराष्ट्र के बीजेपी-शिवसेना के बीच चल रही सियासी झगड़े में अब संघ प्रमुख भागवत ने एंट्री कर दी है। सीएम पद को लेकर बीजेपी और संघ की तकरार के बीच भागवत का यह बयान दोनों विचारधाराओं के लिए सीधी चेतावनी माना जा रहा है। आरएसएस प्रमुख के इस बयान को महाराष्ट्र की सियासत को लेकर चल रही लड़ाई से जोड़कर देखा जा रहा है। महाराष्ट्र की राजनीति में सालों से मित्र रहे शिवसेना और बीजेपी की राहें जुदा हो चुकी है। शिवसेना यहां पर अब कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाने की तैयारी कर रही है। उनका बयान बीजेपी -शिवसेना के इसी झगड़े की ओर इशारा करते हुए दिख रहा है।
मुख्यमंत्री का पहला टर्म शिवसेना को मिल सकता है। वहीं कांग्रेस का स्पीकर बन सकता है। इसके साथ ही मंत्रियों के चयन को लेकर खबर है कि तीन पार्टियों के विधायकों की संख्या के आधार पर मंत्रियों का चयन किया जाएगा।नई सरकार किसानों के एजेंडे को लागू करेगी। महाराष्ट्र और बीजेपी और शिवसेना के बीच जारी झगड़े को लेकर आज आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने नसीहत दी है। उन्होंने कहा कि सब जानते हैं कि स्वार्थ बहुत खराब बात है लेकिन स्वार्थ को बहुत कम लोग छोड़ पाते हैं।
कांग्रेस एनसीपी और शिवसेना के बीच सहमति बनने की खबर आ रही है हालांकि अभी तक इसका पूरा खुलासा नहीं हुआ है कि कौन किसके साथ मिलकर सरकार बनाने जा रहा है। महाराष्ट्र में सरकार गठन की प्रक्रिया में तेजी आ रही है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस एनसीपी और शिवसेना को लेकर करीब-करीब सहमति बन गई है। मंगलवार को शिवसेना ने एक बार फिर बीजेपी पर निशाना साधते हुए लिखा,
“हमें निकालने की घोषणा करने वालों को शिवसेना का “मर्म” और एनडीए का “कर्म-धर्म” नहीं पता”
एनडीए के जन्म और प्रसव पीड़ा को शिवसेना ने अनुभव किया है। भारतीय जनता पार्टी ने बगल में कोई खड़ा नहीं होना चाहता था। जब एनडीए की नींव रखी गई थी तब आज के “दिल्लीश्वर” गुदड़ी में भी नहीं रहे होंगे। जिसने एनडीए की स्थापना की उसे ही बाहर निकालने की घोषणा की गई।”