Chaitra Navratri 2024 : हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि का काफी ज्यादा महत्व है। चैत्र नवरात्रि में लोग कलश स्थापना करते हैं क्योंकि हिंदू धर्म के अनुसार इस कलश में देवी देवता का वास होता है जो कि लोगों को आशीर्वाद देते हैं। नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों का विधि पूर्वक पूजा अर्चना किया जाता है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार चैत्र नवरात्रि में सबसे पहले कलश स्थापना होता है और फिर मां दुर्गा के प्रथम रूप मां शैलपुत्री की पूजा होती है। धर्म शास्त्री के अनुसार आप अगर पूरे विधि विधान से पूजा करेंगे तो मां दुर्गा की आप पर कृपा बरसेगी और आपके घर में खुशहाली आएगी।
कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त
चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 8 अप्रैल को रात 11:50 से होगी और इसका समापन 9 अप्रैल को रात 8:30 पर हो जाएगा। 9 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो रही है और इस दिन कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 6:02 से लेकर 10:16 है। वही अभिजीत मुहूर्त 11:57 से लेकर 12:48 तक है और आप इन दोनों शुभ मुहूर्त में घट स्थापना कर सकते हैं।
Chaitra Navratri 2024 के लिए पूजा विधि
सबसे पहले आप उठकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर ले और इसके बाद मंदिर की सफाई कर ले।
मां दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित करें और इसके बाद मां दुर्गा को सोलह सिंगार करें और फूलों की माला अर्पित करें।
इसके बाद एक कलस ले। कलस के चारों तरफ कलवा बांध ले उसके बाद मां शैलपुत्री के पूजा करें और मां शैलपुत्री को खुश करने के लिए विधि विधानसभा में पूजा करें। फल और मिठाई का भोग लगाए।
माता शैलपुत्री की यह आरती करें
मां शैलपुत्री आरती
शैलपुत्री मां बैल पर सवार।
करें देवता जय जयकार।
शिव शंकर की प्रिय भवानी।
तेरी महिमा किसी ने ना जानी।
पार्वती तू उमा कहलावे।
जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।
ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू।
दया करे धनवान करे तू।
सोमवार को शिव संग प्यारी।
आरती तेरी जिसने उतारी।
उसकी सगरी आस पुजा दो।
सगरे दुख तकलीफ मिला दो।
घी का सुंदर दीप जला के।
गोला गरी का भोग लगा के।
श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं।
प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं।
जय गिरिराज किशोरी अंबे।
शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे।
मनोकामना पूर्ण कर दो।
भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।
जय मां शैलपुत्री की, जय माता दी