ICC World Cup Final : जब जवाहरलाल नेहरू के एक फैसले ने बदल दी थी भारतीय क्रिकेट की किस्मत, वरना छीन जाती ICC की मेंबरशिप

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ICC World Cup Final : वर्ल्ड कप 2023 में भारत ने जो प्रदर्शन किया है वह सच में काबिले तारीफ है। हर जगह भारत के तारीफों का पुल बांधा जा रहा है। सोशल मीडिया से लेकर क्रिकेट ग्राउंड तक भारत की तारीफ हो रही है। साल 2011 के बाद भारत एक बार फिर से इतिहास रचने की तैयारी में है।

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भारत अपने जीत से मैच कुछ कदम की दूरी पर है। कल 19 नवंबर को अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में एक महत्वपूर्ण मैच खेला जाएगा जिसको लेकर तैयारियां शुरू कर दी गई है। इसी बीच एक ऐसे वाक्य को लेकर चर्चा किया जा रहा है जब भारत अपने आईसीसी के सदस्यता को खोने वाला था।

ICC World Cup Final की है यह बात

यह बात 1947 की है जब हमारा देश भारत आजाद हुआ था। उसे समय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के एक राजनीतिक फैसला के वजह से
भारत को इम्पीरियल क्रिकेट कॉन्फ्रेंस का सदस्य बनाए रखा था। अब इसी को इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल के नाम से जाना जाता है। उसे समय जवाहरलाल नेहरू के इस फैसले को लेकर काफी विरोध किया गया लेकिन आज इस फैसले की सराहना की जाती है।

जानीए क्या था यह बड़ा फैसला

भारत जब आजाद हुआ था उसे समय संविधान अपने तक नई सरकार ने ब्रिटिश राज को ही माना। भारतीय कांग्रेस जब भारत को गणतंत्र मान रहे थे उसे समय वह ब्रिटिश से सब रिश्ता तोड़ना चाहती थी। उसे समय ब्रिटेन के प्रधानमंत्री क्लीमेंट इटली और विपक्षी नेता विंस्टन चर्चिल के द्वारा भारत को कॉमनवेल्थ का हिस्सा बनाने का पेशकश किया गया था।

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कांग्रेस ने किया था इसका विरोध लेकिन नहीं माने थे जवाहरलाल नेहरू

उसे समय कांग्रेस के द्वारा भारत के कॉमनवेल्थ का हिस्सा बनने से इनकार किया गया था। कांग्रेस का मन था कि आजादी मिलने के बाद ब्रिटिश क्राउन के साथ किसी भी तरह का राजनीति किया कोई भी रिश्ता रखना उचित नहीं है।

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उसे समय वेस्टर्न चर्चिल ने कहा कि भारत अगर गणतंत्र राष्ट्र बनता है तो वह गणतंत्र के रूप में ही कॉमनवेल्थ का हिस्सा बन सकता है। उसे समय जवाहरलाल नेहरू को यह प्रस्ताव पूरी तरह से पसंद तो नहीं आया लेकिन उन्होंने इसमें हामी भर दी। उसे समय सरदार वल्लभभाई पटेल ने इसका विरोध किया था।


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