What is CAA Rules : क्या सभी नागरिकों को पता है CAA कानून से जुड़ी यह 10 जरूरी बातें, गैर-मुस्लिम शरणार्थियों पर होगा सीधा असर

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What is CAA Rules : केंद्रीय गृह मंत्रालय के द्वारा नागरिक संशोधन अधिनियम 2019 यानी की CAA लागू कर दिया गया है। हालांकि कई पार्टियों के द्वारा इसका जमकर विरोध किया जा रहा है और विपक्षी पार्टियों का कहना है कि यह कानून मुस्लिम विरोधी है। इस कानून के लागू होने से पाकिस्तान बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर मुस्लिम षड्थियों को भारत में नागरिकता मिलना साफ हो गया है। हालांकि आपको इस कानून से जुड़े कुछ जरूरी बातों के बारे में पता होना चाहिए।

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क्या है नागरिकता संशोधन अधिनियम

CAA का फुल फॉर्म नागरिकता संशोधन अधिनियम (What is CAA Rules) है और साल 2019 में यह कानून आया था और इसके अंतर्गत दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए 6 धार्मिक अल्पसंख्यक (हिंदू सिख जैन पारसी और ईसाई) को भारत की नागरिकता दी जाएगी।

केंद्रीय गृह मंत्रालय के द्वारा लोकसभा चुनाव में पहले 11 मार्च 2024 को नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 की अधिसूचना जारी कर दिया गया है और इसका उद्देश्य गैर मुस्लिम प्रवासियों जिसमें हिंदू सिख जैन बौद्ध फारसी और इसी को भारतीय नागरिकता प्रदान करना है।

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भारतीय नागरिकता केवल उन्हें मिलेगी जो कि बांग्लादेश पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 30 दिसंबर 2014 से पहले भारत में शरण लिए हैं। वही लोग इसके लिए आवेदन कर पाएंगे।

नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 दिसंबर 2019 में संसद में पारित किया गया है और इसके बाद राष्ट्रपति से CAA कानून को मंजूरी दे दी गई है। हालांकि राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद देश के विभिन्न राज्यों में इसका जमकर विरोध हो रहा है।

किस तरह कर सकते है आवेदन

CAA के नियम पहले से ही तैयार कर लिया गया था और इसके लिए आवेदन की प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन रखी गई है। आवेदक को किसी भी तरह का अतिरिक्त दस्तावेज नहीं देना होगा।

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पिछले दो वर्षों के दौरान नौ राज्यों को इससे अधिक जिला मजिस्ट्रेट और गृह सचिवों को नागरिकता अधिनियम 1955 के अंतर्गत अफगानिस्तान बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले हिंदुओं सिखों बौद्ध हो जैनी हो पर्सन और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने की क्षमता दी गई है।

गृह मंत्रालय की 2021 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार 1 अप्रैल 2021 से 31 दिसंबर 2021 के बीच पाकिस्तान बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले गैर मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदायों के 14 14 व्यक्तियों को नागरिकता अधिनियम 1955 के अंतर्गत पंजीकरण या प्राकृतिकरण के माध्यम से भारत की नागरिकता प्रदान की गई है।


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