45 मर्दों के बीच कुली का काम करती है संध्या, इज्जत से कमाकर करती है बच्चों को बनाना चाहती है अफसर

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महिलाओं का संघर्ष हमेशा से ही चलता आया है चाहे जमाना कोई भी रहा हो लेकिन हर ज़माने में महिलाओं ने अपनी पहचान बनाने के लिए काफी संघर्ष किया है। और ये संघर्ष ही है जो महिलाओं को मर्दों से अलग बनाता है। अक्सर समाज में ये सोच बनी होती है की औरत कमज़ोर होती है,लेकिन इस दुनिया में ऐसी कई औरते रही है जिन्होंने समाज की इन दकियानूसी सोच को बदल कर रख दिया है और हर पड़ाव हर क्षेत्र में नाम रोशन कर ये साबित किया है की औरते कमजोर नही होती है।

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Sandhya Maravi Coolie Katni railway station 1

ऐसी ही एक महिला के बारे में हम बात कर रहे है जिनका नाम है संध्या जो 31 साल की है और रेलवे स्टेशन पर कुली का काम करती है। इन्हे देखकर हमेशा ही लोग हतप्रभ रह जाते है लेकिन संध्या है जो इन लोगो पर ध्यान न देते हुए अपने काम में पूरी मेहनत और लगन से डूबी रहती है।उनका कहना है की भले ही उनके सपने टूट चुके हो लेकिन उनके हौसले अब भी जिंदा है। उनकी किस्मत ने उनके जीवनसाथी को उनसे दूर कर दिया है लेकिन वो अपने बच्चे को पढ़ा लिखाकर फ़ौज में भर्ती करवाना चाहती है।ये सब वो अपने बलबूते पर करना चाहती है किसी की मदद लिए बिना।

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ये सुनने के बाद पता चलता है की संध्या आखिर कितनी स्वाभिमानी औरत है। जो अपने बलबूते पर सारी परेशानियों का सामना करने के लिए तत्पर है। मध्यप्रदेश के कटनी रेलवे स्टेशन पर संध्या रोज कुली का काम करने निकल पड़ती है अपने घर से ताकि अपनी बूढ़ी सास और अपने तीन बच्चों का लालन पालन अच्छे से कर सके।जब वो रेलवे स्टेशन पर इस तरह से सामान उठाकर चलती है तो उन्हें देखकर हर कोई इंसान उनके इस जज्बे को सलाम करता है और इनकी हिम्मत की दाद दिए बिना नहीं रह पाता।

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उनके कुली बनने के पीछे की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है वो बताती है की जब वो अपने पति के गुजर जाने के बाद नौकरी की तलाश कर रही थी तभी उन्हें किसी ने बताया था कि कटनी रेलवे स्टेशन पर कुली की जरूरत है बस फिर क्या था संध्या ने बिना सोचे समझे इसके लिए आवेदन दे दिया और अब वे कटनी रेलवे स्टेशन के 45 पुरुष कुली के बीच अकेली महिला है जो कुली के तौर पर काम करती है। कुली के रूप में पिछले साल ही उन्हें 36 नंबर बिल्ला भी मिला है।

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संध्या बताती है की उनके तीन बच्चे है जिनमे बड़ा बेटा शाहिल 8 वर्ष,हर्षित 6 वर्ष और बेटी 4 साल की है।इन तीनों ही बचा के लालन पालन की जिम्मेदारी संध्या पर ही है।उनके तीनों बच्चे अच्छे से पढ़ ले इसलिए वो लोगो का बोझ उठाकर अपने बच्चो को पढ़ा रही हैं।वो चाहती है की उनके बच्चे बड़े होकर फौज में भर्ती हो और देश की सेवा करे। सलाम करते है ऐसी मां को जो अपने बच्चो की जिम्मेदारियों को उठाने के लिए लोगो का बोझ उठाती है।


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