Construction of Taj Mahal : मोहब्बत की निशानी ताजमहल को लोग बेहद पसंद करते हैं। जब भी लोग इसे देखते हैं तो कहते हैं “वाह ताज़” 22 सालों तक 22000 मजदूरों ने दिन-रात मेहनत करके ताजमहल को बनाया था और 366 साल बीत जाने के बाद भी ताजमहल की खूबसूरती काम नहीं हुई है। वही ताजमहल को देखकर कई लोगों के मन में सवाल उठता है आखिर इतने सालों तक यह इमारत इतनी खूबसूरत कैसे रह गई। इसको बनाने के लिए मजदूरों ने खास तकनीक का इस्तेमाल किया था जिसके लिए उन्हें गुड़ की जरूरत पड़ी थी।
जानिए क्यों ताजमहल बनाने में हुआ था गुड का इस्तेमाल
ताजमहल के निर्माण की प्रक्रिया की शुरुआत 1631 ईस्वी में हुआ था और यह 1648 में बनकर तैयार हुआ। इसके निर्माण में 38 खास पत्थरों का इस्तेमाल किया गया था और इसके निर्माण का सामान ढोने के लिए 1000 से ज्यादा हाथी दिन-रात मेहनत करते थे। इसको बनाने में एक खास किस्म का लेप का इस्तेमाल किया गया था जो तैयार किया गया था कई टन गुड़ से।
Construction of Taj Mahal में इन चीजों का हुआ इस्तेमाल
इस इमारत को मजबूत बनाने में जिस लेप का इस्तेमाल किया गया था वह लेप जुट कंकर गुड़ दही बेलगिरी की पानी और उड़द की दाल से बना था। यही वजह था कि पत्थर आपस में चिपक गए।
आप सोच रहे होंगे कि ताजमहल को बनाने में कितना खर्चा आया था तो बता दे कि उसे समय ताजमहल को बनाने में 32 लाख का खर्चा आया था जो इस समय 52800 करोड रुपए के बराबर है। ताजमहल एक पारसी और इस्लामी कला का बेहतरीन उदाहरण है।
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लोग दूर-दूर से ताजमहल देखने के लिए आते हैं और इसकी खूबसूरती के दीवाने हो जाते हैं। वक्त काफी बीत गया है लेकिन ताजमहल की खूबसूरती में किसी भी तरह की कमी देखने को नहीं मिल रही है। ताजमहल की खूबसूरती दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।