What is Shava Sadhana : अघोरी शव साधना करते हैं और इस दौरान वह शव के ऊपर बैठ जाते हैं। शव साधना एक बहुत ही कठिन तांत्रिक कार्य है और इस दौरान वह कई तरह के कठोर अनुष्ठान करते हैं।
शव साधना एक बहुत ही गुप्त विद्या मानी जाती है और यह चुपचाप रात के समय की जाती है। यह अनुष्ठानिक तौर पर एक बहुत ही प्राचीन विद्या मानी जाती है। अघोरी बाबा को द्वारा इस साधना में सिद्ध हस्त माना जाता है और यह अनुष्ठान सख्त नियमों के साथ किया जाता है। इन सभी नियमों का पालन करना बेहद ही जरूरी होता है।
आम लोगों से अलग क्यों होते हैं अघोरी?
शव साधना (What is Shava Sadhana)को लेकर देश-विदेश के कई लेखकों ने कई बातें लिखी है। मुख्य तौर पर यह विद्या बनारस के गंगा घाट के पास की जाती है। तंत्र-मंत्र विशेषज्ञ अनुज शर्मा से लेकर कई विदेशी लेखकों ने इस पर कई सारी किताब भी लिखी है।
अभी कुछ समय पहले एक यूट्यूब चैनल पर इस साधना का लाइव प्रसारण किया जा रहा था। तंत्र के नाथ शाखा में कापालिक संप्रदाय के तांत्रिक साधना में परंपरागत होते हैं। यह बहुत ही कठोर साधना होता है।
शव साधना तांत्रिक रहस्यवाद का सबसे गुप्त हिस्सा माना जाता है। हालांकि कई लोग इसे बहुत ही गलत मानते हैं। अघोरी बाबा की माने तो यह सबसे कठिन अभ्यास होता है और इस अनुष्ठान के सभी नियमों का पालन करना जरूरी है। इसके किसी भी नियम का उल्लंघन करने पर गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
कैसे करते हैं मुर्दे पर खड़े होकर साधना?
तंत्र के जानकार कहते हैं कि शव साधना का उद्देश्य कुंडलिनी को परम शिव के साथ एकजुट करना होता है। यह अनुष्ठान के दौरान व्यक्ति की आत्मा को अपने काबू में कर लिया जाता है और आत्मा से सभी कार्य कराए जाते हैं।
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हालांकि इससे जुड़ी किताब कहती है कि जब भी कोई शव से शव साधना किया जाएगा तो वह शव क्षतिग्रस्त नहीं होनी चाहिए और ताजा होनी चाहिए। यह अनुष्ठान आमतौर पर अमावस्या के दिन की जाती है और इस दौरान रात में सड़क को शव के साथ अकेला छोड़ दिया जाता है। यह मुख्य रूप से श्मशान घाट में किया जाता है। इस दौरान अघोरी बाबा 100 को जिंदा कर देता है लेकिन अगर कोई गलती होती है तो वह अघोरी बाबा पागल हो सकता है।