Fake vs DeepFake : अक्सर अपने फेक खबरें और वीडियो की चर्चा सुनी होगी लेकिन आजकल डीपफेक का नाम भी चर्चा में बना हुआ है। अभी कुछ समय पहले साउथ की मशहूर एक्ट्रेस रश्मिका मंदाना का एक वीडियो वायरल हुआ जिसे नकली बताया जा रहा था। इसके बाद सोशल मीडिया पर डीपफेक कंटेंट को लेकर बहस शुरू हो गई।
फेक और डीप फेक के बीच अंतर जानने के लिए रिसर्च शुरू कर दिया गया है। रिसर्च में पता चला कि दोनों के बीच जमीन आसमान का अंतर है। फेक कंटेंट वीडियो ऑडियो तस्वीर या शब्दों के रूप में प्रचारित होते थे वही डीप फेक कंटेंट वीडियो ऑडियो और तस्वीर के रूप में सर्कुलेट होते हैं। डीप फेक का सबसे बड़ा खासियत यह होता है कि इसमें असली और नकली में फर्क पहचाना काफी मुश्किल होता है।
जानिए क्या होता है डीप फेक कंटेंट(Fake vs DeepFake)
फेक कंटेंट तो आप जानते होंगे कि इसको वीडियो ऑडियो या तस्वीर का नकल करके चलाया जाता है लेकिन डीप फेक कंटेंट की बात आती है तो इसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से बनाया जाता है। डीप लर्निंग का मतलब होता है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से डाटा के जरिए किसी समस्या का समाधान खोजना। डीप फेक कंटेंट में किसी वीडियो इमेज यह डिजिटल कंटेंट पर किसी अन्य का चेहरा अथवा आवाज बदलकर उसे वायरल किया जाता है जैसे कि रश्मिका मंडाना के केस में हुआ था।
जानिए कैसे बनता है डीपफेक कंटेंट
दो तरह के एल्गोरिथम का इस्तेमाल करके डीपफेक कंटेंट बनाया जाता है। इसमें जनरेटर फेक डिजिटल कंटेंट तैयार किया जाता है और फिर दूसरा डिस्क्रिमिनेटर होता है। यह दोनों आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से तैयार किया जाता है।
इस प्रक्रिया में जनरेटर फेक डिजिटल कंटेंट तैयार करता है और डिस्क्रिमिनेटर से पूछता है यह कंटेंट बनावटी लग रहा है यह सच। इसमें एक इनकोडर होता है और दूसरा डिकोडर होता है। पहले वीडियो तैयार करता है और दूसरा उसे डेकोड करता है कि यह असली लग रहा है या बनावटी।