नई दिल्ली, 25 सितंबर: नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने अपनी रिपोर्ट में रक्षा सौदों से जुड़े एक बड़े घपले का सनसनीखेज खुलासा किया है, जी हाँ! रक्षा सौदा में ये घपला आज से 8-10- साल पहले सोनिया-मनमोहन सरकार (UPA)में हुआ था।
CAG रिपोर्ट के मुताबिक, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने यूएवी (ड्रोन) के निर्माण के लिए जिस इंजन को 24 लाख में खरीदा, उसी इंजन को विदेशी कंपनी ने एयरफोर्स को 87 लाख में बेच दिया। इतना ही नहीं उसने अप्रमाणित इंजनों की आपूर्ति की, जो यूएवी के हादसों का कारण भी बने। CAG ने न सिर्फ इस घपले को उजागर किया है बल्कि इस मामले की जांच करने की सिफारिश भी की है। इस मामले की जांच आने वाले दिनों में हो सकती है.
सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक़, एयरफोर्स ने मार्च 2010 में मैसर्स इस्राइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज से यूएवी के लिए पांच 914ई रोटैक्स इंजन खरीदने का करार किया। प्रति इंजन की खरीद 87.45 लाख रुपये में की गई। इस प्रकार इस कंपनी ने एयरफोर्स को पांच इंजनों की आपूर्ति कर दी।
कैग ने अपने लेखा परीक्षण में पाया कि डीआरडीओ की प्रयोगशाला एयरोनाटिकल डेवलपमेंट इस्टेब्लिशमेंट (एडीई) ने दो साल बाद अप्रैल 2012 में यही इंजन 24.30 लाख रुपये प्रति इंजन के मूल्य पर खरीदे। लेखा परीक्षा के दौरान जांच में पाया गया है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में यूएवी के उपरोक्त इंजन की कीमत 21-25 लाख के बीच है, जबकि एयरफोर्स ने तीन गुना से भी अधिक दाम पर ये इंजन खरीदे।
आखिर खरीद प्रक्रिया में इतनी बड़ी चूक कैसे हुई। इससे सरकार को 3.16 करोड़ का नुकसान हुआ। पूरी खरीद प्रक्रिया ही संदेह के घेरे में हैं, अगर जांच हुई तो बड़े खुलासे होने तय हैं. जांच की जड़ में वो भी आ सकते हैं जिनके शाय पर इतना बड़ा घपला हुआ।