जोमेटो की शुरुआत से पहले उसकी सबसे पहली कंपनी 2008 में शुरू हुई थी। जब एक लड़का लंच के लिए अपनी कंपनी के कैंटीन पहुंचा। लेकिन वहां की स्थिति देखकर उसे लगा की उसे कुछ करना चाहिए जिससे कोई उस तरह की परेशानी से फिर रूबरू न हो। उस लड़के ने एक रास्ता निकाला और उस रास्ते का असर ये हुआ कि भारत को एक फूडटेक यूनिकॉर्न मिल गया।जिसके बाद घर बैठे खाना मंगवाना बहुत ही आसान हो गया।आज हम आपको बता रहे है की Zomato आखिर ब्रांड कैसे बना।
जोमेटो अब तक 10 करोड़ से ज्यादा फूड डिलीवरी कर चुका है बात करे zomato की शुरुआत की तो इसकी शुरुआत ऑफिस कैंटीन से हुई थी। आईआईटी से पढ़े दीपिंदर गोयल के दिमाग में ये आइडिया पनपा था।जिसके बाद इस आइडिया के साथ उन्होंने अपने साथी पंकज चड्ढा के साथ मिलकर इसपर काम शुरू किया और अपने कैंटीन के मेन्यू को ऑनलाइन वेबसाइट पर अपलोड कर दिया जिसके बाद उनके इस कॉन्सेप्ट ने धूम मचा दी थी।जिसके बाद दोनो ने इसे आगे बढ़ते हुए 2008 में ही फुड़िबे नाम से लॉन्च कर दिया।
इस वेबसाइट पर दिल्ली के रेस्टोरेंट और मेन्यू की ही लिस्टिंग की गई थी।जिससे लोगो को ये फायदा होता था की वे घर बैठे सारी जगहों के मेन्यू देखकर अपना ऑर्डर कर पाते थे।लोगो ने इसे काफी पसंद किया और 9 महीने में ही 2 हजार से ज्यादा रेस्टोरेंट फूडिबे नाम की इस कंपनी ने दिल्ली में अपना सबसे बड़ा नाम कर लिया।
इन सबके बाद दिपिंदर और पंकज इसे और ज्यादा बढ़ाना चाहते थे और पूरे देश में इसे फैलाने की प्लानिंग में जुट गए थे।लेकिन इस रास्ते में सबसे बड़ी समस्या उनके ब्रांड नेम की आ रही थी क्योंकि फूडिबे नाम लोगो की जुबान पर आसानी से नहीं आता था और ये ईबे कंपनी से भी काफी मिलता जुलता नाम था जिसे देखते हुए इसके फाउंडर्स ने 2010 में इसका नाम बदलकर जोमैटो कर दिया और इसी नाम से फिर से इसका प्रचार प्रसार किया गया।
जोमैटो के दिल्ली में सफल होने के बाद इसका विस्तार पुणे,अहमदाबाद,बैंगलोर,चेन्नई और हैदराबाद में भी शुरू कर दिया गया।साल 2012 आते आते जोमैटो का विस्तार विदेशों में भी होने लगा था। इसमें शुरुआत में श्रीलंका, यूएई, कतर,साउथ अफ्रीका जैसे देशों में इसका विस्तार किया गया।