कहते है की अगर आपके मन में कुछ कर गुजरने की चाह है और आप अपनी मंज़िल तक पहुंचने के लिए लगातार मेहनत कर रहे है। तो एक दिन ज़रूर आपको आपकी मंज़िल मिलकर ही रहती है। लेकिन कभी कभी ऐसा भी होता है की आप कितनी ही मेहनत करले लेकिन अगर आपके पास वो सही संसाधन नहीं है जिसकी वजह से आप आगे बढ़ पाए तो फिर आगे बढ़ पाना बहुत ही मुश्किल हो जाता है। कुछ ऐसा ही हो रहा है उत्तरप्रदेश की एक बेटी के साथ जिसने अपने शहर और जिले में तो खूब नाम रोशन कर लिया है लेकिन अब उसकी ऊँची उड़ान के बीच में 4 लाख रूपए आ रहे है।
दरअसल यूपी के कौशाम्बी में रहने वाली जागृति सिंह मौर्य ने शूटिंग कई मैडल जीते है और 4 गोल्ड मैडल भी हासिल किया है लेकिन अब उसे नेशनल लेवल पर खेलने के लिए एक ओपन एयर गन की ज़रुरत है, इसे खरीद पाना उसके लिए संभव नहीं है। जाग्रति सिंह का परिवार इतना सक्षम नहीं है और वो गरीबी तबके से आती है जिस वजह से इतनी महंगी गन खरीद पाना जागृति के लिए पॉसिबल नहीं हो पा रहा है। यहाँ तक की उसने यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, कौशांबी सांसद विनोद सोनकर, स्थानीय विधायक शीतला प्रसाद पटेल तक से मदद की गुहार लगा चुकी है,लेकिन अब तक जागृति की मदद के लिए कोई आगे नहीं आया है।
आपको बतादे की जागृति जो की सिराथू तहसील के धुमाई गांव की रहने वाली है उसने राइफल शूटिंग में 4 गोल्ड मैडल अपने नाम किये है। जागृति ने अपनी शूटिंग की शुरुआत साल 2016 में की थी। इसके बाद तो जागृति आगे बढ़ती गयी और राज्य स्तर की प्रतियोगिताओं में लगातार साल 2017, 2018 और वर्ष 2019 में गोल्ड मेडल जीतकर अपना और अपने गांव का नाम रोशन किया। जब साल 2019 में जागृति ने गोल्ड मैडल जीता था उसके बाद सिराथू में उनका बहुत ही शानदार तरीके से स्वागत किया गया था। यहाँ तक की वहां के विधायक शीतला प्रसाद पटेल ने ये आश्वासन भी दिया था की जाग्रति को जो भी ज़रुरत नेशनल लेवल तक खेलने के लिए लगेगी उसमे वो उसकी पूरी सहायता करेंगे।
लेकिन ऐसा हुआ कुछ नहीं और अब जागृति अपने सपने को पूरा करने के लिए परेशान होती मदद की आस में घूम रही है। लगातार 2 साल से जागृति अपनी एयर गन जिसकी कीमत 4 लाख रूपए है उसे खरीदने के लिए कई लोगो के सामने मदद की गुहार लगा चुकी है लेकिन कोई भी अब तक जागृति की मदद के लिए आगे नहीं आया है। इतना ही नहीं जागृति को मुख्यमंत्री तक से सम्मान मिल चूका है लेकिन इसके बावजूद आज वो अपनी प्रैक्टिस पूरी नहीं कर पा रही है। यहाँ तक की वो खेल मंत्रालय तक में अपनी मदद की अर्ज़ी लगा चुकी है।