अगर चंद्रयान-2 सफल होता तो, आने वाले सालों में विश्व में चंद्रमा को लेकर कई ताकतवर राष्ट्र के बीच होड मच जाती। पहले चीन और अब भारत द्वारा चांद के अंतर हिस्सों में दस्तक देने पर कई देशों की नजरें टिकी हैं। बस, अमेरिका जैसे बड़े देशों में बनी है। भविष्य में करीब आधा दर्जन देश इस अभियान के बाद अपने चंद्र अभियानों को हरी झंडी दिखा सकते हैं।
इसरो के सूत्रों के अनुसार, जिन देशों हारा चांद में दिलचस्पी ली जा रही है, उनमें यूरोपीय एजेंसी, बुलगारिया, इस्राइल, जर्मनी, जापान आदि प्रमुख रूप से शामिल हैं। पूर्व में अपने अभियान बंद कर चुके रूस और अमरिका भी फिर से अपने कार्यक्रमों को नए सिरे से तैयार करने में जुटे हैं। दरअसल, दक्षिणी क्षेत्र में भारत के पहचने और उससे पहले चीन के चांद के पिछले हिस्से में दस्तक देने से खनिजों आदि की मौजूदगी को लेकर नई जानकारियां सामने आने की संभावना है।
चांद पर हीलियम-3 गैस की मौजूदगी भी दुनिया को आकर्षित कर रही है। इसलिए कई देशों को लगता है कि भविष्य में चांद के संसाधनों पर संभावित दावेदारी में वे पीछे नहीं रहे, इसलिए अभियान शुरू कर देने चाहिए। चांद पर जहां करीब 50 साल पहले अमेरिका के अपोलो यान उतरे थे, अब अमेरिका उसे ऐतिहासिक स्थान बताकर काबिज होने की मुहिम चला रहा है। ऐसे में भारत का लैंडर विक्रम भी दक्षिणी ध्रुव में जिस जगह उतर रहा है, वहां उसका दावा मजबूत होगा। इसलिए भविष्य में वाद पर संसाधनों के लिए दावेदारी की होड़ बढ़ सकती है।
साठ के दशक में रूस और अमेरिका ने चांद पर कई मिशन भेजे। रूस ने कई बार सॉफ्ट लैंडिंग की तो अमेरिका ने 15 अभियान भेजे थे। इनमें से छह मानव मिशन थे जिनमें 12 इंसान चांद पर गए लेकिन इसके बाद दोनों देशों ने चांद से मुंह फेर लिया। चंद्रमा से लौटे अमेरिकी वैज्ञानिकों के अनुसार, वहां चट्टानों के अलावा कुछ नहीं है। अमेरिका ने इसके बाद खर्चीले अभियान बंद कर दिए। यही रूस ने भी किया। इसके बाद 1976 के बाद 37 सालों तक चांद पर कोई अभियान नहीं गया।
चांद वैज्ञानिकों के मुताबिक चांद का जन्म करीब 450 करोड़ साल पहले हुआ था। इस बारे में थ्योरी है कि एक विशाल गृह थिया’ के पृथ्वी से टकराने पर चांद का जन्म हुआ था। चांद के चट्टानी टुकड़ों पर ‘थिया’ नाम के ग्रह की निशानियां दिखती हैं।
चंद्रमा का व्यास करीब 3,476 किलोमीटर है जो पृथ्वी के व्यास का एक चौथाई है। चंद्रमा का भार पृथ्वी के भार से 81 गुना कम है। चंद्रमा की सतह पर गुरुत्वाकर्षण शक्ति पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के सिर्फ छठे भाग जितनी है। चंद्रमा पर पृथ्वी जैसा वायुमंडल नहीं है और इसीलिए वहां तरल पानी नहीं है।
चांद की चट्टानों पर सल्फर मिलने के भी संकेत मिले हैं। एक शोध के मुताबिक चंद्रमा पर मूल्यवान धातु प्लेटिनम और प्लाडियम का भंडार है। चांद के आवरणं पर मैग्निशियम और सिलिकॉन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध चांद की बाहरी और भीतरी सतह पर आयरन मौजूद।
150 से ज्यादा चांद हैं। ब्रह्मांड में 32,000 ईसा पूर्व के कैलेंडर में भी चांद का जिक्र।
पांचवां सबसे बड़ा चांद
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