आज पूरे देश मे विधि विधान के साथ माता रानी को विराजमान किया जाएगा। आज से नवरात्रि का पर्व चालू हो गया है। सभी इन दिनों माता रानी की प्रतिमा को विराजमान कर उनकी आराधना करते हैं। बता दें कि मूर्ति बनाने वाले कई महीने से मां की प्रतिमा बना रहे हैं। लेकिन यह काफी ज्यादा महेंगी होती है। जिसे सभी के लिए खरीदना इतना आसान नहीं होता है। ऐसे में कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अपने हुनर का उपयोग कर घर में ही शानदार प्रतिमा बना लेते हैं।
आज हम इस आर्टिकल में एक ऐसे ही कलाकार की बात करने जा रहे हैं। जिन्होंने घर में रहते हुए कागज की मदद से बहुत प्यारी माता रानी की प्रतिमा बनाई है। इतना ही नहीं वे इस काम को 10 साल की उम्र से करते आ रहे हैं। दरअसल, पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के रहने वाले छात्र दीप्तरूप घोष पिछले 8 सालों से कागज की मदद से शानदार मूर्ती का निमार्ण कर रहे हैं। आज वे 18 वर्ष के हो चुके हैं। उनके इस टेलेंट की काफी चर्चा होती हैं।
बताया जाता है कि दीप्तरूप घोष के घर में दुर्गा की पूजा की जाती है। और उनके यह दुर्गा का गृहपूजा की परंपरा के वर्षों से चली आ रही है। लेकिन दीप्तरूप की भुआ के निधन के बाद यह परंपरा टूटने की कगार पर आ गई थी। क्योंकि इसे करने वाला कोई नहीं था। ऐसे में 10 साल के दीप्तरूप ने यह जिम्मेदारी अपने ऊपर ली और दुर्गा की गृहपूजा का जिम्मा संभाला लेकिन उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि बाजार से दुर्गा की प्रतिमा को खरीद सके ऐसे में दीप्तरूप ने कई तरह के पेपर कागज का उपयोग कर घर में ही शानदार दुर्गा मां की प्रतिमा बना दी।
दीप्तरूप के द्वारा बनाई गई इस कागज प्रतिमा की जमकर तारीफ होती है। क्योंकि उनकी कला को देख अच्छे अच्छे कलाकार उनके आगे फैल है। उन्होंने अब तक कई प्रतिमा का निर्माण किया है। जिसे देखकर आप भी उनकी खूब तारीफ करेंगे। दीप्तरूप इस प्रतिमा को तैयार करने के लिए पेपर के कागज से मां दुर्गा के सिर की रचना की है। तो वहीं रंगीन ऑयल पेपर से मां दुर्गा के दोनों मृगनयनी आंखों की संरचना बनाई है। जो देखने में बहुत ज्यादा सुंदर दिखाई देती हैं।
दीप्तरूप के घर वालों का कहना है कि ऊ की कला को देखकर सभी काफी ज्यादा हैरान हो जाते हैं। उन्होंने कई बड़े मूर्ति कारों को पीछे छोड़ दिया है। उनका कहना है कि इस प्रतिमा को बिना छुए नहीं बताया जा सकता है कि यह पेपर से बनाई गई है। 10 वर्ष की उम्र से यह काम कर रहे दीप्तरूप आज 18 के हो गए है। और वे पढ़ाई भी करते हैं। बताया जाता है कि घोष परिवार में पूरे रीति रिवाज के साथ माता रानी की पूजा की जाती है।