वैसे तो दुनियाभर में ऐसे कई धार्मिक ग्रंथ है जिन्होने अपने आप में एक इतिहास को सहेज कर रखा है। आज हम आपको एक ऐसे धार्मिक ग्रंथ कुरान के बारे में बताने जा रहे जिसे देख और सुन आप भी आश्चर्यचकित हो जायेंगे। जी हां ये कुरान एक माचिस की डिब्बी से भी छोटी है और इसे सोने के पानी से लिखा गया है। जिसे रीवा का एक परिवार कई पुश्तों से संभाल कर रखा हैं।
रीवा की मन्नान मस्जिद के पास रहने वाले मरहूम अनवारुल हक़ के परिवार के पास है इस्लाम धर्म में आस्था की प्रतीक विश्व की सबसे छोटी कुरान-ए-शरीफ। इस कुरान की खासियत यह है कि लम्बाई चौडाई बेहद छोटी होने के बावजूद ये सोने के पानी से लिखी हुई है, इस कुरान शरीफ के ही कवर में लगे लेंस से इसकी आयतों को आसानी से पढा जा सकता है। मरहूम अनवारुल हक के परिवार में पिछले सात पुश्तों से ये कुरान शरीफ है पर ये उनके परिवार में कैसे आई इसक पता किसी को भी नहीं है।
ये छोटी कुरान शरीफ उनके परिवार में दो है इसकी खासियत ये है की ये माचिस की डिब्बी से भी छोटी है और एक माचिस की डिब्बी में दो कुरान शरीफ आ जाती है, इसकी लिखावट सोने के पानी से है और ऊपर से चमड़े का कवर है इन्हे ये तो नहीं पता की ये उनके परिवार में कंहा से आई लेकिन पिछले सात पुस्तों से उनके परिवार में यह पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है और वो इसकी हिफाजत करते चले आ रहे है।
तीस पारे की इस कुरान शरीफ मे वे सारी आयते लिखी हुई है जो एक बडी कुरान-ए-शरीफ मे लिखी होती है, ये कुरान शरीफ इतनी छोटी है और इसके शब्द इतने छोटे है की इसे खाली आँखों से नहीं पढ़ा जा सकता। कई लोग इनके घर बाहर से भी इस छोटी कुरान शरीफ को देखने के लिए आते हैं यंहा के बच्चे भी इसे बहोत उत्साह से पढ़ते है इस घर के लोग अपने पुरखो की इस धरोहर को 7 पुश्तो से सहेज कर रखे हुए है और इसे आगे भी रखते रहेगें।
मरहूम अनवारूल हक के पास यह कुरान शरीफ दो प्रति में है, उनके बुजुर्गो के बताये अनुसार यह विश्व सबसे छोटी और दुर्लभ कुरानों में से एक है और पीढ़ी दर पीढ़ी से उनका परिवार के पास ये कुरान शरीफ है जिसे बहुत हिफाजत से ये परिवार अपने पास रखे हुए है।