अंधा कह कर चिढ़ाते थे लोग, ऑडियो सुनकर की पढ़ाई और बन गया IAS

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कहां जाता है ना अगर सच्चे दिल से कुछ करना चाहो तो पूरी कायनात आपको अपने सपनों में मिल जाती है। कुछ कर दिखाने के लिए इरादे बुलंद हो तो विपरीत परिस्थितियों में भी राहें बनने लगती है। ज्यादातर दिव्यांग लोगों का हर पल मजाक बनाया जाता है। जो लोग उनको उसकी कमजोरी समझ मजाक उड़ाते हैं, यह दिव्यांग ऐसे हैं, जो हर पल अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं और अपने दम पर जीत हासिल कर रहे हैं।

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ऐसे ही एक दिव्यांग IAS अफसर केम्पा होन्नाह (Kempahonnalah) इनका जन्म कर्नाटक में हुआ। यह आज उन लोगों के लिए मिसाल है, जो खुद को कमजोर समझते हैं। सही दिशा में कड़ी मेहनत ही सफलता का एकमात्र उपाय है। जिस प्रकार पैसे से पैसा कमाया जा सकता है, उसी प्रकार सफलता से सफलता हासिल की जा सकती है। यह देख नहीं सकते हैं, लेकिन कामयाबी के उच्च शिखर को चूम IAS अधिकारी बन गए। सिविल सर्विसेज की परीक्षा में 334 वी रैंक हासिल कर एक बार दुनिया को दिखा दिया हम भी किसी से कम नहीं।

यह देख नहीं सकते यह कैसी विडंबना इसके बाद भी अपना परचम फहरा दिया। इस एग्जाम को पास करने में उनकी पत्नी की अहम भूमिका है। नेत्रहीन होने के कारण देख नहीं पाते थे और उनकी पत्नी ने ऑडियो नोट्स बनाए, जिससे वह सुन सुन कर पढ़ सके। उन्हें इस बात का गर्व है कि वह दिव्यांग कम्युनिटी से है। उनका हमेशा यह मानना है कि हैंडीकैप शब्द दो पॉजिटिव शब्दों से बना है इसमें पहला शब्द हेंडी और दूसरा शब्द कैप एक दूसरे का हमेशा साथ देते हैं।

उन्होंने थर्ड क्लास में अपनी आंखें खो दी थी। उन्होंने कभी प्राइवेट स्कूल और कॉलेज में पढ़ाई नहीं की, उन्होंने हमेशा सरकारी ब्लाइंड स्कूल में ही पढ़ाई की है। भाग्य की विडंबना तो देखिये उनके भाई भी दिव्यांग है, जब उनके भाई की नौकरी लगी तब उन्होंने संकल्प लिया था कि मैं दिव्यांग के लिए कुछ सुविधाएं जरूर मुहैया कराऊंगा। हम सब उनकी कहानी सुनकर समझ सकते हैं, नहीं देख पाना जीवन का कितना बड़ा अभिशाप है। वे जब छोटे थे ठीक से कपड़े भी नहीं देख पाते थे और नहीं ठीक से अपने आप को संभाल पाते थे। लेकिन जब IAS अफसर बन गए है तो उनका यही अभिमत है कि जिस स्थिति से मैं गुजरा हूं इस स्थिति का और कोई सामना ना करें।

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