मिट्टी के कच्चे मकान से टोक्यो ओलिंपिक महिला हॉकी, जानिए सलीमा टेटे और परिवार के संघर्ष की कहानी

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टोक्यो ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने पहुंचे सभी खिलाड़ियों ने अच्छा प्रदर्शन करते हुए 7 मेडल अपने नाम किए। ओलंपिक के दौरान भारत के खिलाड़ियों द्वारा कई तरह के खेलों में अपनी ओर से भाग लिया गया और सभी ने इस दौरान अच्छा प्रदर्शन करते हुए अपने देश का नाम गौरवान्वित किया जहां कई लोगों को सफलता हाथ लगी और कईयों ने अपने खेल से ही सभी का दिल जीत लिया।

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भारतीय महिला हॉकी टीम उनमें से एक रही है जिन्होंने हार कर भी पूरे देश का दिल जीत लिया और आज सभी की काफी तारीफ भी हो रही है। देश के अलग-अलग क्षेत्र से आई युवा वर्ग की खिलाड़ियों ने टोक्यो ओलंपिक के सेमीफाइनल तक पहुंच कर इतिहास रच दिया। लेकिन वे कांस्य पदक के लिए हुई भिड़ंत में ग्रेड ब्रिटेन से हार गई। इन खिलाड़ियों ने हारने के बाद भी सभी का दिल जीत लिया सभी ने उन्हें का हार के बाद भी खूब शुभकामनाएं दी और आगे इसी तरह अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद लगाई।

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लेकिन आज हम उसी युवा खिलाड़ी के बारे में बात करने जा रहे हैं जिन्होंने एक छोटे से गांव से निकलकर टोक्यो ओलंपिक तक अपना सफर तय किया और अपना और अपने परिवार का नाम रोशन किया। ओलंपिक में महिला हॉकी टीम का हिस्सा रही सलीमा टेटे झारखंड के बड़कीचापर गांव की रहने वाली है बे बहुत ही गरीब परिवार से आती है।

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टोक्यो ओलंपिक में टीम का हिस्सा बनने के बाद सोशल मीडिया पर अब उनके परिवार और घर से जुड़ी काफी तस्वीरें वायरल हो रही है जिसमें आप साफ तौर पर देख सकते हैं कि इतने बड़े मंच पर देश का गौरव बढ़ाने उतरी सलीमा मिट्टी के मकान में रहती है। खिलाड़ी के घर में टीवी भी मौजूद नहीं है। प्रशासन द्वारा घर वालों की टीवी की व्यवस्था करवाई तब जाकर उन्होंने अपनी बेटी का खेल देखा।

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सलीमा का जीवन काफी संघर्ष से भरा रहा है लेकिन उन्होंने कभी भी अपने आप से हार नहीं मानी यही कारण रहा कि उन्होंने टोक्यो ओलंपिक में अपने साथ ही अपने क्षेत्र का भी नाम रोशन कर दिया है वही अपनी बेटी को लेकर घरवाले लगातार उम्मीद लगा रहे थे कि उनकी बेटी देश के लिए कुछ बड़ा करके दिखाएगी। हालांकि भारतीय महिला हॉकी टीम ग्रेट ब्रिटेन से यह मैच तो हार गई लेकिन इसके बावजूद भी उन्होंने करोड़ों देशवासियों का दिल जीत लिया।

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आज भारत के कई खिलाड़ी ऐसे हैं जो सलीमा जैसे गरीबी से निकलकर इतने बड़े मंच पर अपने देश का नाम गौरवान्वित कर रहे हैं। आज सलीमा उन सभी खेल प्रेमियों के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है जो हालातों से लड़कर आगे नहीं बढ़ पाते हैं। वही घर में टीवी ना मौजूद होने के कारण सलीमा के घर वाले अपनी बेटी का खेल नहीं दे पा रहे थे। जिसको लेकर वह काफी ज्यादा परेशान थे ऐसे में सिमडेगा प्रशासन ने उनकी मदद करते हुए घर में टीवी और सेटअप बॉक्स लगवाया तब जाकर भी अपनी बेटी का खेल देख पाए। बता दें कि सिमडेगा को झारखंड में हॉकी की नर्सरी माना जाता है।


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