वाहनों से निकलने वाली ‘यह’ चीज लोगों को कर रही बीमार, आपकी गाड़ी से तो नहीं हो रही ‘यह’ गलती

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Pollution from vehicles: पहले लोग साधारण जीवन जीते थे परिश्रम करते थे और यही कारण था कि उनका जीवनकाल लंबा होता था। धीरे-धीरे मनुष्य ने तकनीक के क्षेत्र में प्रगति की और अब यह उसी के लिए दुविधा बन गया है। आज भले ही भारत विकासशील देशों की गिनती में शामिल हो लेकिन इसके कई हानिकारक प्रभाव भी भारत को झेलने पड़ रहे हैं। भारत में बढ़ते हुए शहरीकरण के कारण वाहनों की संख्या में वृद्धि हुई है। क्रय शक्ति में वृद्धि का सीधा मतलब यह है कि अब अधिक लोग वाहन खरीद सकते हैं और यही पर्यावरण के लिए हानिकारक सिद्ध होता जा रहा है।

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हाल ही में हुई एक रिसर्च से यह सामने आया है कि वाहनों से निकलने वाला धुआं पर्यावरण के साथ-साथ मनुष्य के शरीर को भी काफी नुकसान पहुंचा रहा है। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर इरविन के अनुसार वायु प्रदूषण के कारण मनुष्य में अल्जाइमर और मेमोरी लॉस जैसी खतरनाक बीमारियां पनप रही है। अपने अध्ययन में उन्होंने कहा है कि वाहनों से होने वाला वायु प्रदूषण अल्जाइमर रोग के बीच संबंध काफी चिंतनीय है क्योंकि वायु प्रदूषण विश्व स्तर पर बढ़ रहा है जोकि मनुष्य के मस्तिष्क की कार्यप्रणाली पर सीधा असर कर रहा है।

पर्यावरण को हो रहे घातक नुकसान

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पर्यावरण और व्यवसायिक स्वास्थ्य के शोधकर्ता मसाशी किताज़ावा (पीएचडी) ने अपने अध्ययन में यह निष्कर्ष निकाला है कि वाहनों के धुए का सीधा असर मनुष्य के मस्तिष्क पर हो रहा है उनका कहना है कि भारत में वाहनों का प्रसार तेजी से हो रहा है जिसके कारण यह बीमारी और भी अधिक बड़ा रूप ले सकती है। शहरी क्षेत्रों में विशेषकर बड़े शहरों में वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या है जिसकी वजह से खांसी, सिर दर्द, आंखों में जलन जैसे लक्षण वायु प्रदूषण के कारण दिन प्रतिदिन बढ़ रहे हैं। अब धीरे-धीरे छोटे शहरों में भी दोपहिया और चार पहिया वाहनों का वर्चस्व हो रहा है जिसका पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

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वाहनों से निकल रहे धुंए से होने वाले पर्यावरण के नुकसान को कम करने के लिए सार्वजनिक और पर्यावरण नियामक एजेंसियों को अपने कार्यों में तेजी लानी होगी। इन एजेंसियों को वायु प्रदूषण कम करने के नए-नए तरीकों को ढूंढना होगा ताकि भारत में इस तरह की गंभीर बीमारियों का विस्तार ना हो सके। एजेंसियों को बढ़ती बीमारियों के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करनी होगी क्योंकि अगर यह बीमारियां विकराल रूप ले लेंगी तो बड़े पैमाने पर लोग इससे ग्रसित हो सकते हैं।


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