देश में बड़ी मात्रा में ऊर्जा बनाने का कार्य कोयले के माध्यम से किया जाता है लेकिन धीरे-धीरे कोयले के भंडारण में कमी को देखते हुए यह आशंका जताई जा रही है कि आने वाले कुछ दिनों में लोगों को बिजली कटौती की मार झेलने को मिल सकती है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कुछ समय पहले ही देश के कई जिलों में नियम बार कटौती चालू भी कर दी गई थी। क्योंकि पानी के कम गिरने और कोयले की पर्याप्त उपलब्धता न होने के कारण बिजली नहीं बन पा रही कई थर्मल प्लांट एक-दो दिन के कोयले पर ही जिंदा बचे हुए थे। ऐसे में बिजली कटौती को चालू कर दिया गया था।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि देश में ज्यादातर थर्मल प्लांट में बिजली उत्पन्न करने का कार्य कोयले के माध्यम से ही होता है जिन्हें दूसरे देशों से आयात किया जाता है। खबरों की मानें तो भारत के अलावा चीन भी बिजली समस्या को लेकर काफी ज्यादा जीत रहा है। क्योंकि वहां भी लगातार कोयले का भंडारण खत्म होता जा रहा है ऐसे में उसके सामने भी ऊर्जा को लेकर भारी संकट बना हुआ है और वह हर हाल में कोयले की खरीद कर रहा है।
देश में बिजली उत्पन्न करने की बात की जाए तो आपको बता दें कि भारत में तकरीबन 70% बिजली को कोयले के माध्यम से ही पैदा किया जाता है। वहीं देश के एनर्जी एक्सपर्ट नरेंद्र तनेता कहते हैं कि देश में किसी भी प्रकार से कोयले की कमी नहीं है! एक्सपर्ट का कहना है कि कोयले का सही रूप से खनन नहीं हो पा रहा है जिसकी वजह से यह कमी देखने को मिल रही है। क्योंकि कोयला इतनी आसानी से प्लांटों तक नहीं पहुंच पाता है। उन्हें कहीं माध्यम से पहुंचाना पड़ता है कई बार तो बारिश भी बड़ी बाधा बन जाती है।
उनका यह भी कहना है कि काफी सालों से कोयले खनन के लिए उपयोग किए जाने वाले तरीका भी नहीं बदला है जिसकी वजह से भी कोयले का खनन करने में समस्या देखने में आती है। बारिश की वजह से भी खनन में दिक्कत होती है। इसके साथ है इन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर भी ले जाने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस समस्या को उन्होंने बड़े स्तर पर बताया है। तनेता के अनुसार देश की खदानों से ज्यादा उच्च क्वालिटी का कोयला नहीं मिल पाता है। जिसके कारण हमें बाहर से भी इसे आयात करना पड़ता है।
खबरों के अनुसार देश के कुछ थर्मल पावर प्लांट में 2 से 5 दिन का ही कोयला बचा है। देश में थर्मल पावर प्लांट की बात करे तो इसकी संख्या 135 है। जिनमें करीब 100 ऐसे बताए जा रहे हैं जहां पर कोयले का स्टाक अब काफी कम है। देश के 13 प्लांट्स में करीब दो सप्ताह का स्टाक बचा हुआ है। यदि हालात ऐसे ही रहे तो देश मे बिजली की समस्या पैदा हो सकती हैं। कोयला मंत्रालय की वेबसाइट पर भी पूरी जानकारी साझा की गई है।
लेकिन जरूरत के अनुसार मंत्रालय को दूसरे देशों से भी कोयले का याद करना पड़ता है खबरों की मानें तो अब कोयले के दामों में भी काफी ज्यादा तेजी आई है। पहले इंडोनेशिया से आने वाले कोयले की कीमत करीब 60 डालर प्रतिटन से बढ़कर 200 डालर प्रति टन तक जा पहुंची है। जो भी मंत्रालय के लिए एक बड़ी समस्या बना हुआ है इसकी वजह से ही कोयले के आयात में काफी ज्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।