कलाकृति से विदेशों में फहराया परचम, भारतीय महिला की सफलता की कहानी

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झारखण्ड एक छोटा सा प्रदेश है लेकिन वह की लोक कला पुरे विश्व में मशहूर है। इनमे से कुछ लोक कला तो विलुप्त हो चुकी है और कई संघर्ष कर रही है अपने अस्तित्व को लेकर। ऐसे समय में झारखण्ड की एक लोक कला सोहराई और टिकुली कला को फिर से पसंद किया जा रहा है और इसका जादू विदेशो तक भी देखा जाने लगा। अपनी लगन और कार्य के प्रति विश्वास ने रांची के बूटी मोड़ पर रहने वाली कामिनी सिन्हा ने सोहराई और टिकुली कला से विदेश में विशेष पहचान बनाई है।

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पीएम मोदी के आत्मनिर्भर अभियान से प्रभावित हो कामिनी सिन्हा के साथ 36 साथी महिलाएं भी इस लोक कला से अपना जीवन यापन कर रही है। कामिनी सिन्हा और अन्य महिला साथी सोहराई और मधुबनी पेंटिंग के कारन आत्मनिर्भर हो पायी है। कामिनी सिन्हा जातीय समूह की महिलाओं को आदिवासी कला और लोक कलाकृति का प्रशिक्षण भी देती है।

लगन और विश्वास से ही मिली सफलता

कामिनी सिन्हा से जब हमने बात की तो उन्होंने बताया की वो एक शिक्षित परिवार से है और उनके घर में पढ़ाई को ही महत्त्व दिया जाता है। लेकिन कामिनी की दिलचस्पी शुरू से की कलाकृति में थी। परिवार का शुरू से ही कहना था की पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित रखो और सरकारी नौकरी के लिए प्रयत्न करो। बाकि सभी काम पढ़ाई पूरी कर लेने के बाद भी किये जा सकते है। पड़े पूरी हुई फिर परिवार ने शादी कर दी जिसके बाद खुद के कुछ करना बड़ा मुश्किल होता है। ससुराल में भी खुद का काम शुरू करने या प्राइवेट नौकरी के लिए कोई सहयोग नहीं दिखा, फिर मेरी भेंट कुछ विशेष लोगो से हुई। उन्होंने जब मेरे बारे में जाना तो मुझे अपने यहाँ नौकरी करने का प्रस्ताव दिया।

नौकरी का प्रस्ताव मिला तो सही लेकिन ससुराल से किसी ने भी सम्बल नहीं दिया, बीटा भी बहोत छोटा था। वो वक्त बहोत मुश्किलों भरा था एक तरफ नौकरी का प्रस्ताव और दूसरी तरफ परिवार। फिर मैंने साहस दिखाया और सुबह 10 बजे से शाम के 4 बजे तक के लिए नौकरी शुरू कर दी। हालांकि मेने यह परिवार से चुप कर शुरू की लेकिन बाद में यही फैसला मेरी सफलता का कारण बना। आज मेरे द्वारा तैयार किये गए डिज़ाइन कपडे भारत ही नहीं विदेशो में भी प्रचलित है और इनकी मांग दिनोदिन बढ़ रही है।

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साड़ी, कुशन कवर, सोफा कवर सभी पर वर्क

कामिनी सिन्हा ने बताया उन्होंने इसके लिए बहुत मेहनत की है और आज उस म्हणत के अच्छे परिणाम मिल रहे है। कामिनी ने बताया कुछ वर्षो की म्हणत के बाद बाजार से उनके तैयार कपड़ो की मांग आने लगी और उन्हें इस कार्य के लिए और लोगो की जरुरत पड़ने लगी। एक के बाद एक जब लगातार मांग आने लगी फिर मैंने ओम क्रिएशन नाम से कंपनी स्थापित की। इतना सब हो जाने के बाद जाकर परिवार को मेरे काम का पता चला।

मेरी सफलता को पुरे परिवार ने सराहा और मुझे पहले से कही ज्यादा सहयोग और मदद प्रदान की। परिवार के सहयोग से अब मेरा विश्वास पहले से कही बड़ा है और अब मैं सभी तरह के प्रोडक्ट पर कलाकृति करती हूँ। साड़ी, स्टाॅल, दुपट्टा, कुशन कवर, बेडशीट, वेस्टकोट, क्लच, बैग, घर में सजावट के सामान सभी पर पेंटिंग बनाई जाती है। कलाकृतियों में सोहराई, मधुबनी और टिकुली विशेष तौर पर रहती है। मेरे तैयार किये सभी आइटम भारत के सभी महानगर और कई सारे शहरों में सीधे भेजे जाते है। अब विदेशो से भी मेरे द्वारा तैयार उत्पादों की मांग आने लगी है।


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