वर्ष का अंतिम शनि प्रदोष व्रत, जाने क्यों भोलेनाथ करते है इस व्रत पर हर मनोकामना पूरी

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आज शनिवार का दिन है और आज शनिवार को शनि प्रदोष व्रत किया जाता है। शनि प्रदोष को भगवान शिव की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है। जब प्रदोष व्रत किसी भी माह के शनिवार को आता है तो उसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है। पूरे वर्ष में लगभग 4 से 5 शनिवार ऐसे होते हैं जो कि शनि प्रदोष व्रत होते हैं।

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चंद्रमास की दोनों तिथियों शुक्ल और चंद्र तिथियों पर प्रदोष व्रत रखा जाता है। भारतीय संस्कृति के शास्त्रों में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व बताया गया है। कहां जाता है शनि प्रदोष व्रत काफी फलदाई होता है इसे कृष्ण प्रदोष व्रत भी कहते हैं। शास्त्रों और मान्यताओं के अनुसार शनि प्रदोष व्रत बहुत गुणकारी होता है भोलेनाथ की महिमा अद्भुत होती है इसलिए इस व्रत का बहुत महत्व है। आइए हम आपको शनि प्रदोष व्रत के शुभ मुहूर्त और विधि के बारे में बताते हैं,

शनि प्रदोष का शुभ मुहूर्त:

तिथि: मार्गशीर्ष, कृष्ण त्रयोदशी

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त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ: 12 दिसंबर, शनिवार सुबह 7 बजकर 2 मिनट से

त्रयोदशी तिथि समाप्त: 13 दिसंबर, रविवार 3 बजकर 52 मिनट पर

शनिवार को ही क्यों होता है प्रदोष व्रत

वर्ष के वो सभी शनिवार जिस दिन प्रदोष व्रत होता है उन्हें शनि प्रदोष व्रत किया जाता है। शनिवार के दिन होने के कारण इसे शनि प्रदोष व्रत कहते हैं लेकिन वास्तव में यह भोलेनाथ को समर्पित होता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार भगवान शनि देव ने भोलेनाथ को अपना गुरु बनाया था ऐसे में शनिवार के दिन किए जाने वाले यह प्रदोष व्रत ओर भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं। इस दिन आप शिवजी और शनिदेव दोनों की पूजा करते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। हिंदू मान्यता के अनुसार प्रदोष व्रत के दिन शिव जी अपने सबसे प्रसन्न स्वभाव में होते हैं और हर मनोकामना पूरी करते हैं।


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