बॉलीवुड की दिग्गज अदाकारा अभिनेत्री रेखा को आज कौन नहीं जानता। आज वे किसी की पहचान की मोहताज नहीं है। इंडस्ट्री में लगभग 4 दशकों से अपनी अदाकारी का जलवा बिखेरने वाली रेखा की जिंदगी किसी पहेली से कम नहीं रही है। अपने फिल्मी करियर की शुरुआत से ही रेखा को लेकर बातें होती रही है। जिसमें उनकी शादी की ख़बरों ने बहुत ज्यादा सुर्खियां बटोरी थी। अभिनेत्री के अपने करियर से लेकर अपने पारिवारिक जीवन में भी बहुत कठिनाइयों का सामना किया है।
10 बजे मंदिर खुलवाकर की शादी
बता दें कि रेखा की शादी के किस्से खूब चर्चाओं में रहे थे। उस समय इंडस्ट्री के अलावा भी सभी रेखा की शादी की ख़बरों को सुन चौका गए थे। दरअसल, अभिनेत्री ने बिजनेसमैन मुकेश के संग साथ फैरे लिए। लेकिन इस शादी का किस्सा बहुत चर्चाओं में रहा। दोनों की मुलाकात को मुश्किल से एक महीने ही हुए थे कि 4 मार्च 1990 को मुकेश अचानक मुंबई पहुंच गए और रेखा के सामने शादी का प्रस्ताव रख दिया। इसे रेखा भी नहीं ठुकरा सकी और तुरंत ही दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया। और दोनों ने रात करीब 10 बजे मंदिर में शादी करली।
लेखक यासिर उस्मान लिखते हैं
शादी के लिए इधर उधर भटकते हुए दोनों जुहू के इस्कॉन टेंपल में उस वक्त जबरदस्त भीड़ थी, लेकिन इसी मंदिर के सामने एक और मंदिर नजर था, मुक्तेश्वर देवालय। मुकेश ने इस मंदिर के जूनियर पुजारी संजय को जगाया और कहा कि वे तुरंत शादी करना चाहते हैं। वो पशोपेश में था, लेकिन जब उसकी नजर रेखा पर पड़ी तो नींद गायब हो गई।
यूं तो शाम की आरती के बाद मंदिर खोलने पर पाबंदी होती है और रात के समय शादी करवाने की भी मनाही थी, लेकिन पुजारी संजय ने नियम तोड़ कर दोनों की शादी कराई। इस तरह 37 साल के मुकेश और 36 साल की रेखा पति-पत्नी बन गए। यासिर उस्मान के मुताबिक बाद में इसी गलती के लिए पुजारी संजय को मंदिर से निकाल दिया गया था।
ट्रॉफी की तरह हो रही थी इस्तेमाल
हालांकि शादी के 3 महीने बाद ही रेखा और मुकेश की शादी में तमाम दिक्कतें आने लगीं। रेखा को अपनी गलती का एहसास हो गया और उन्हें लगने लगा कि मुकेश उन्हें ट्रॉफी की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। रेखा को एक और चीज से दिक्कत होने लगी थी। वह थी मुकेश की मशहूर और प्रभावशाली लोगों से संबंध बढ़ाने की सनक।
आगे यासिर उस्मान लिखते हैं कि एक बार राजीव गांधी के फार्म हाउस के सामने से गुजरते हुए मुकेश जिद पर अड़ गए कि रेखा उन्हें राजीव गांधी से मिलवा दें। वे कहने लगे कि चलो अंदर चलकर उन्हें हैलो बोल देते हैं… मुझे ऐसे लोगों से जान-पहचान की जरूरत है। रेखा ने इससे इनकार कर दिया।
थोड़े दिन बाद ही मुकेश रेखा को साथ लेकर ग्वालियर जाने की जिद पर अड़ गए, जहां कांग्रेस के कद्दावर नेता माधवराव सिंधिया क्रिकेट मैच का आयोजन कर रहे थे। मुकेश का कहना था कि वह (सिंधिया) मेरे बिजनेस में बहुत काम आ सकते हैं। उस वक्त मुकेश ग्वालियर में अपनी फैक्ट्री शुरू करने की योजना बना रहे थे। रेखा इस बात से बेहद खफा हुईं और साफ साफ कह दिया कि अपने बिजनेस में मुझे मत इन्वॉल्व करो।
6 महीने में ही टूट गया 7 जन्मों का रिश्ता
दोनों के रिश्तों के बीच बढ़ती दूरियों के चलते उन्होंने आपसी सहमति से अलग होने का फैसला कर लिया। और महज शादी के 6 महीने बाद ही उनका रिश्ता खात्मे की कगार पर पहुंच गया। इस सदमे को मुकेश झेल नहीं पाए और 2 अक्टूबर 1990 को उन्होंने अपने फार्म हाउस में अपनी जीवन को अलविदा कहा। यासिर उस्मान लिखते हैं कि मुकेश ने जिस दुपट्टे का इस्तेमाल किया वो रेखा का ही था।