महाराष्ट्र में सरकार बनाने की अभी भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। कांग्रेस, एनसीपी, शिवसेना के बीच सरकार बनाने का मसौदा तैयार हो चुका है। लेकिन अब तक उसका एलान नहीं किया गया। इस बीच केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना गठबंधन की सरकार का नया फार्मूला सुझाया।
महाराष्ट्र में सरकार बनाने की शिवसेना की कोशिशों के बीच संसद भवन में सर्वदलीय बैठक के बाद दिलचस्प नजारा दिखा। बैठक के बाद पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के साथ रामदास अठावले और शिवसेना सांसद विनायक राऊत बाहर निकले। अठावले ने राउत को पीएम की ओर बढ़ाते हुए कहा, “प्रधानमंत्री जी महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए कुछ कीजिए”। पीएम यह कहते हुए आगे बढ़ गए कि “आज बालासाहेब ठाकरे की पुण्यतिथि है, वे महान नेता थे। राउत ने कहा कि “सरकार बनाना तो अमित जी के हाथ में है।” शाह को चुप देख आठवले बोले अमित भाई आप कोशिश करेंगे तो सरकार बन जाएगी। शाह ने कहा आप चिंता मत कीजिए सब ठीक होगा।
अठावले का कहना है कि संजय राउत से बात हो चुकी है। संजय राउत को दो और तीन का फार्मूला सुझाया गया है। इसके तहत 3 साल मुख्यमंत्री बीजेपी का तथा 2 साल शिवसेना का। रामदास अठावले के मुताबिक संजय राउत ने कहा अगर बीजेपी इस पर हांमी भरती है तो शिवसेना विचार कर सकती है। रामदास अठावले ने कहा कि महाराष्ट्र में सरकार बनाने की दिशा में सभी चीजें सही दिशा में जा रही है। अंत में बीजेपी और शिवसेना ही सरकार बनाएगी। केंद्रीय मंत्री का कहना है कि शिवसेना को अपना रुख बदलना चाहिए। क्योंकि कांग्रेस शिवसेना को सपोर्ट करने को तैयार नहीं है और दोनो हीअलग विचारधारा वाली पार्टी है।
असल में महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद की मांग को लेकर बीजेपी से अलग हो चुकी शिवसेना ने एनडीए की बैठक का बहिष्कार किया था। केंद्रीय मंत्री और एन डीए की सहयोगी रिपब्लिक पार्टी ऑफ इंडिया के प्रमुख अठावले ने कहा शिवसेना मीटिंग में नहीं थी। हालांकि शिवसेना के विनायक राउत सर्वदलीय बैठक में मौजूद थे। राज्यसभा और लोकसभा में शिवसेना के सांसद अब विपक्षी दलों के साथ बैठेंगे जो अब तक सत्तापक्ष के साथ बैठते थे। विधानसभा चुनाव के बाद जारी सत्ता संघर्ष के चलते शिवसेना में न सिर्फ भाजपा के साथ तीन दशक पुरानी दोस्ती तोड़ दी है। बल्कि महाराष्ट्र में नया सियासी समीकरण भी बनता दिख रहा है। राज्य में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ गलबहियों के चलते संसद के दोनों सदनों में विपक्ष में बैठेगी। शिवसेना ने इसका संकेत शनिवार को दिया था। जिस पर भाजपा की ओर से रविवार को मुहर लगा दी गई।