पीवी सिंधु ने 8 साल की उम्र में थाम लिया था अपने हाथ में रैकेट, दो बार ओलंपिक पदक जीत रचा इतिहास

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हम बात कर रहे है पीवी सिंधु की जिन्होंने ओलिंपिक इवेंट में दूसरी बार पदक अपने नाम किया है। इसके साथ ही वो लगातार दो बार पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला भी बन गयी है। रियो ओलिंपिक में इससे पहले साल 2016 में भी सिंधु ने कमाल की पारी खेली थी जिसमे उन्होंने सिल्वर मैडल हासिल किया था। इस बार के गेम में भी उन्होंने एक और मैडल हासिल किया है। हालाँकि पिछली बार की तरह इस बार सिंधु सिल्वर मैडल नहीं जीत पाई लेकिन कांस्य पदक जीतकर भी उन्होंने भारत में इतिहास ही रचा है।

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pv sindhu started playing from age of 8

भारतीय बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधु टोक्यो ओलिंपिक में ब्रोंज मैडल जीतकर इतिहास रच चुकी है। सिंधु ने इस गेम में चीन की तरफ से खेल रही बिंगजियाओ को 21-13,21-15 से हराकर जीत अपने नाम दर्ज की और ब्रोंज मैडल पर बाज़ी मारी है। सिंधु गत कुछ वर्षो से ही दुनिया में अपनी एक अलग ही पहचान बनाये हुए है। पूरी दुनिया के सामने सिंधु एक उभरता हुआ सितारा बने आयी है। जहाँ अपने खेलने के अंदाज़ से सिंधु ने पूरी दुनिया में अपनी एक अलग ही छाप छोड़ी है। उनसे भारत के साथ साथ विदेशो की लड़कियां भी काफी प्रभावित हुई है।

पीवी सिंधु ने ऐसे कई रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज करवा लिए है जो हर किसी के बस की बात नहीं है। बात करे उनके पुरस्कारों की तो उन्हें 2013 में अर्जुन पुरस्कार,साल 2016 में राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार और यही नहीं उन्हें साल 2015 में पद्मश्री और साल 2020 में पद्मभूषण से भी नवाज़ा जा चुका है।
पीवी सिंधु ने खुदको इस मुकाम पर लेन के लिए कड़ी मेहनत की है और खुदको इस हद तक तराशा है की आज वो पूरी दुनिया के सामने एक उदाहरण पेश कर रही है। सिंधु ने गेम खेलने का अपना एक अलग ही स्टाइल क्रिएट किया है।

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बात करे सिंधु की शुरुआती ज़िन्दगी की तो सिंधु का पूरा नाम पुसर्ला वेंकट सिंधु है। सिंधु 5 जुलाई 1995 को हैदराबाद के एक तेलुगु परिवार में पैदा हुयी थी। पीवी सिंधु के पिता का नाम पीवी रमन्ना और माँ का नाम पी विजय है। सिंधु के पिता पीवी रमन्ना और माँ पी विजया वॉलीबॉल प्लेयर रह चुके है और दोनों ने नेशनल लेवल तक वॉलीबॉल खेला है। सिंधु के पिता ने तो अपनी उपलब्धियों के चलते अर्जुन अवार्ड से भी उन्हें सम्मानित किया गया है। आल इंग्लैंड चैंपियनशिप 2001 में पुलेला गोपीचंद के ख़िताब जीतने के बाद से ही सिंधु ने ठान लिया था की वो बैडमिंटन प्लेयर बनेगी। आपको बतादे कि पीवी सिंधु ने सिर्फ 8 साल की उम्र से ही बैडमिंटन का रैकेट अपने हाथो में थाम लिया था।जैसे जैसे समय निकलता गया पीवी सिंधु का जूनून इस खेल के लिए बढ़ता ही चला गया। नतीजा आज हम सबके सामने है की पीवी सिंधु ने 2 बार ओलिंपिक में मैडल जीतकर भारत का नाम विश्व में रोशन किया है।


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