बचपन से चराई गाय-भैंस, मेहनत और लगन से पास की UPSC तो गांव वाले हुए हैरान

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छोटे-छोटे गांव की लड़कियों को पढ़ाई करने के लिए आज भी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। कुछ लड़कियां इन मुसीबतों से हार कर पढ़ाई बंद कर देती है लेकिन कुछ लड़कियां अपने हौसले को बुलंद रखते हुए जीवन में कुछ कर गुजरती है। ऐसी ही एक छोटे से गांव की लड़की है सी वनमती जिसने देश की सबसे कठिन परीक्षा को पास कर अपने गांव का नाम रोशन किया। भारत में सिविल सेवा परीक्षा को सबसे कठिन परीक्षा माना जाता है क्योंकि इसे पास कर लेने के बाद व्यक्ति आईएएस या आईपीएस ऑफिसर बनता है। वनमती ने सिविल सेवा परीक्षा पास ही नहीं की बल्कि अच्छी रैंक प्राप्त की है।

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वनमती वही लड़की है जो गांव में घूम घूम कर मवेशियों को चारा चराती थी, लेकिन आज वह आईएएस ऑफिसर बन गई है। कहा जाता है यदि आप के हौसले मजबूत और बुलंद हो तो कोई भी काम ना मुमकिन नहीं होता। सी वनमती 2015 की सिविल सेवा परीक्षा पास कर सरकारी अधिकारी बनी और पूरे गांव का नाम रोशन किया। सी वनमती को यूपीएससी की परीक्षा में 152 वी रैंक प्राप्त हुई जैसे सुनकर सभी गांव वाले अचंभित हो गए।

परिवार की आर्थिक स्थिति ख़राब

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सी वनमती उस प्रदेश से है जिसका साक्षरता स्तर बहुत ऊंचा है। केरल के इरोड जिले की रहने वाली वनमती एक साधारण परिवार की लड़की है जो प्रायः ऐसे गांव से है जो अविकसित है। वनमती बचपन से ही गांव में पढ़ि-बली है और उसका बचपन गाय, भैंस और पालतू जानवरों को चराने में बीता है। सी वनमती के पिताजी के पास बहुत कम खेती थी जोकि घर खर्च के लिए काफी नहीं थी। इसलिए वह टैक्सी चलाने के लिए शहर चले गए। पिता के शहर जाने के बाद घर के छोटे खर्चों को पूरा करने के लिए कुछ पशुओं को पाला गया जिनको चराने का काम वनमती करती थी।

पशुपालन का काम बड़ा ही मुश्किल होता है उन्हें सुबह और शाम चराने के लिए ले जाना पड़ता है उनकी साफ सफाई करनी पड़ती है यह सभी काम वनमती के जिम्मे था। वनमती यह सभी काम मां का हाथ बताने के लिए करती थी जिसे उसने लंबे समय तक किया जब तक वह बड़ी नहीं हुई। वनमती सुबह स्कूल जाती और स्कूल से आने के बाद मवेशियों को चलाती थी और बचे हुए समय में वह पढ़ाई करती थी।

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स्कूल के बाद हुआ शादी के लिए दबाव

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गांव के सरकारी स्कूल से वनमती ने अपनी पढ़ाई पूरी की फिर उसकी शादी की बात शुरू हो गई क्योंकि गांव में लड़कियों की शादी कम उम्र में ही कर दी जाती है। वनमती ने माता-पिता से बात की और उनसे 2 वर्ष का समय मांगा ताकि वह अपने जीवन में कुछ कर सके। वनमती इतनी आज्ञाकारी और मेहनती थी कि माता-पिता उसकी बात टाल नहीं पाए और कॉलेज की पढ़ाई के लिए तैयार हो गए।

वनमती ने अपनी कॉलेज की पढ़ाई के बाद पोस्ट ग्रेजुएशन कंप्यूटर एप्लीकेशन में पूरा किया। पोस्ट ग्रेजुएशन पूरा कर लेने के बाद वनमती ने प्राइवेट बैंक में नौकरी शुरू कर दी जिससे वह बेहतर तरीके से अपने परिवार की मदद कर सके। परिवार की आर्थिक हालत कमजोर थी और वनमती को बैंक से अच्छी तनख्वाह मिल रही थी इसलिए वनमती नौकरी के लिए मना नहीं कर पाई। वनमती के पिता ने कुछ समय बाद काम करना बंद कर दिया क्योंकि उनकी सेहत ठीक नहीं रहती थी।

अब परिवार की आर्थिक जिम्मेदारी वनमती के ऊपर आ गई। वनमती ने यह नौकरी केवल परिवार को आर्थिक मदद देने के लिए शुरू की थी उसका असली मकसद तो सिविल सेवा परीक्षा को पास कर बड़ा अधिकारी बनना था। वनमती ने बैंक की नौकरी के साथ-साथ सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए कुछ पैसे जोड़े ताकि तैयारी के लिए उसे कोई परेशानी ना हो। वनमती अपने पहले और दूसरे प्रयास में सफल नहीं हो पाई थी लेकिन 2015 की सिविल सेवा परीक्षा में उसने 152 वी रैंक हासिल की। वनमती की इस उपलब्धि से गांव वाले अचंभित हो गए और उन्होंने वनमती और उसके परिवार को खूब बधाइयां दी।


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