आज पूरा देश टोक्यो ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ी द्वारा किए गए शानदार प्रदर्शन के लिए खुशियां मना रहा है वही टोक्यो से अब खिलाड़ी अपने वतन भी आ चुके हैं और उनका एयरपोर्ट पर आते ही भव्य स्वागत किया गया वहीं इस दौरान गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचने वाले भाला धावक नीरज चोपड़ा का भी भव्य स्वागत किया गया। इस दौरान एयरपोर्ट का नजारा देखने लायक था सैकड़ों की संख्या में खेल प्रेमी इन खिलाड़ियों का अभिवादन करने पहुंचे।
इतना ही नहीं आज टोक्यो ओलंपिक में अच्छा प्रदर्शन करने वाले कई खिलाड़ियों को सरकार द्वारा मोटी रकम दी गई है। ओलंपिक में अपने देश का प्रतिनिधित्व करने गए बहुत से खिलाड़ी तो ऐसे हैं जिनके घर में टीवी तक मौजूद नहीं है वे मिट्टी के कच्चे मकान में रहने को मजबूर हैं। लेकिन खेल के प्रति अपनी निष्ठा और मन में लगन के चलते उन्होंने ओलंपिक तक का अपना सफर तय किया है। यह पहला मौका नहीं है जब भारत के किसी खिलाड़ी ने अपने देश का विश्व पटल पर मान बढ़ाया हो इससे पहले भी भारत की ओर से ओलंपिक में कई खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया और अपनी तरफ से अच्छा प्रदर्शन किया।
Assam girl name #Pinki Karmakar,who is working in garden as labour for her survival though once she was the representative of India in torch relay #2012 London Olympic. #everyonemustgettheireuitableright@himantabiswa@CMOfficeAssam@narendramodi sir @IndiaToday @ANI pic.twitter.com/I595w3c6lT
— Avaya🇮🇳 (@parbotiRajesh) August 8, 2021
आज हम ओलंपिक से जुड़ी एक ऐसी युवा खिलाड़ी की बात करने जा रहे हैं। जिन्हें एक समय दौलत और शोहरत दोनों ही खूब मिली, लेकिन आज वे पाई पाई के लिए मोहताज और अपने घर को चलाने के लिए 167 रूपए प्रतिदिन के हिसाब से मजदूरी कर रही है। दरअसल, हम बात कर रहे हैं साल 2012 में लंदन में आयोजित हुए ओलंपिक के दौरान टॉर्च रिले भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली पिंकी करमाकर की जो आज तंगहाली से गुजर रही है वह अपना गुजारा किस तरह कर रही है इस बात का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि इतनी बड़ी प्रतिमा होने के बाद भी उन्हें केवल 167 रूपए में मजदूरी करनी पड़ रही है।
आखिरकार समय के साथ उन खिलाड़ियों को क्यों भुला दिया जाता है जो एक समय पर देश का नाम रोशन करने के लिए दिन रात मेहनत करते थे आज देश में पिंकी करमाकर जैसी कई युवा प्रतिभा है जो सुख सुविधाओं के अभाव के चलते ही अपना सब कुछ गवा कर घर के काम में लग गई है। क्योंकि ऐसे युवा प्रतिभा खिलाड़ियों को प्रशासन की ओर से भी किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं करवाई गई जिसके कारण उन्हें अपने घर चलाने के लिए छोटे-मोटे काम करना पड़ रहे हैं।
आज ऐसे कई उदाहरण हमारे सामने मौजूद है जिन्होंने एक समय पर अपने साथ ही सभी लोगों का मान बढ़ाया लेकिन आज उनको खुद पाई पाई के लिए मोहताज होना पड़ रहा है। जिस समय लंदन ओलंपिक का आयोजन हुआ था उस दौरान पिंकी की उम्र केवल 17 साल थी उस दौरान नॉटिंघम में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए अपने हाथों में टॉर्च लिए दौड़ लगा रही थी लेकिन उन्होंने भी कभी यह नहीं सोचा था कि इतने बड़े मुकाम पहुंचने के बाद उनकी जिंदगी में ऐसा ही मोड़ आएगा।
आज पिंकी 26 साल की हो चुकी है और बीते 9 सालों में उनके साथ जो हुआ उसका आप और हम भी अंदाजा नहीं लगा सकते हैं। एक समय इतने बड़े देश का प्रतिनिधित्व करने वाली पिंकी आज का जीवन यापन करने के लिए चाय के बागानों में मजदूरी कर रही है। जिस समय पिंकी ने लंदन ओलंपिक में यह कारनामा करा था उसके बाद उनका देश लूटते ही भव्य स्वागत किया गया और उनको लेकर कई तरह के वादे भी किए गए, लेकिन उसके बाद किसी ने भी उनकी तरफ जा कर नहीं देखा।
पिंकी को एयरपोर्ट पर लेने खुद मुख्यमंत्री सरबानंद सोनोवाल पहुंचे थे। आज पिंकी पाई-पाई के मोहताज हो गई है और उन्हें अपना घर चलाने के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है बता दें कि उनका घर चलाने के लिए वही बची हुई है उनकी मां की मृत्यु हो चुकी है और उनके पिता काफी उम्र दराज हो चुके हैं जो कि घर का भार अपने ऊपर नहीं उठा सकते हैं। ऐसे में पिंकी पूरा घर चला रही है। लेकिन यह कितनी बड़ी विडंबना है कि पिंकी जैसे खिलाड़ियों को प्रशासन की और से भी कोई मदद नहीं की जाती और उनकी प्रतिभा अपने आप में ही दबकर रह जाती है।