न दुआ लगी न काम आया करोड़ो का इंजेक्शन, नहीं बच सकी मासूम की ज़िन्दगी और थम गयी साँसे

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एक गंभीर बीमारी के कारण एक साल की छोटी बच्ची की पुणे के एक हॉस्पिटल में मृत्यु हो गयी। बच्ची के लिए लोगो द्वारा दी गयी 16 करोड़ रूपए की मदद के बाद बच्ची को इंजेक्शन लगाया गया था। जब बच्ची वेदिका शिंदे की मौत हुई उसके कुछ समय पहले ही बच्ची के परिवारजनों ने सोशल मीडिया पर उसके फोटोज और वीडिओज़ को शेयर करते हुए बताया था की उसकी हालत अब पहले से स्वस्थ है।

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पीठ की मांसपेशी से सम्बंधित खतरनाक जानलेवा बीमारी ‘एसएमए टाइप-१’ से ग्रसित थी बच्ची वेदिका। जिसका पिम्परी इलाके के भोसरी में एक प्राइवेट हॉस्पिटल में रविवार को 6 बजे के वक़्त मौत ने अपने आगोश में ले लिया। बताया जा रहा है की बच्ची को अचानक सांस लेने में दिक्कत हो रही थी जिसके बाद उसे हॉस्पिटल ले जाया गया था।

इस बीमारी के उपचार के लिए 16 करोड़ रूपए के इंजेक्शन की ज़रुरत थी जो की एक आम इंसान के लिए जुटा पाना बहुत ही असंभव था। जिसके लिए परिवारवालों ने क्राउड फंडिंग की तब जाकर पैसो का इंतेज़ाम हुआ, दुनिया के हर कोने से लोगो ने वेदिका की मदद के लिए अपने हाथ आगे बढ़ाये थे। अमेरिका से मंगवाए इस इंजेक्‍शन के लिए सरकार ने इंपोर्ट ड्यूटी भी हटा दी थी, दान में मिले पैसो से जून में दीनानाथ मंगेशकर हॉस्पिटल में वेदिका को इंजेक्शन लगाया गया था।

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स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी एक (SMA) ऐसी बीमारी है जिसका इलाज Zolgensma नाम के एक इंजेक्‍शन लगाने से ही पॉसिबल है। इस बीमारी की वजह से पीड़ित बच्चा धीरे-धीरे कमजोर होने लगता है बीमारी के कारण वह मांसपेशियों की गतिविधियों पर अपना कंट्रोल नहीं रख पाता है। यह एक आनुवंशिक बीमारी है, जो जीन में गड़बड़ी होने पर अगली पीढ़ी में पहुँच जाती है।

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वेदिका के माँ बाप ने बताया की इंजेक्शन लगाने के बाद धीरे धीरे वेदिका की हालत में सुधार हो रहा था, लेकिन एक महीने बाद अचानक से उसे सांस लेने में दिक्कत होने लगी और बच्ची को फ़ौरन अस्पताल ले जाया गया। लेकिन उसके बावजूद वेदिका की जान नहीं बचा पाए, वही दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल के डॉक्टर का कहना है की बच्ची को दूध पीने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा था जिसकी वजह से उसकी मौत हुई है।


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