प्रधानमंत्री लगातार देश से वीआईपी कल्चर को खत्म करने की बात कर रहे थे। वीआईपी कल्चर को समाप्त करने के लिए केंद्र सरकार लगातार वीआईपी सुरक्षा में कटौती कर रही थी। इसी कड़ी में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा को मिली विशेष सुरक्षा एसपीजी हटा दी गई है। हांलाकि, गांधी परिवार को सुरक्षा में किसी तरह का समझौता नहीं करना पड़ेगा। गांधी परिवार को अभी भी जेड प्लस सुरक्षा दी जाएगी। सरकार के वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को कहा कि गृह मंत्रालय की उच्च स्तरीय बैठक में सुरक्षा की समीक्षा करने के बाद यह फैसला दिया गया। उधर, कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने कहा कि यह बदले की भावना की इंतेहा है। अगस्त में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की भी एसपीजी सुरक्षा हटा दी गई थी।
राजीव गांधी की हत्या के बाद कानून में संशोधन हुआ
1988 में बने मूल कानून में केवल प्रधानमंत्री की सुरक्षा का प्रावधान था। वीपी सिंह सरकार ने 1989 में इसी आधार पर राजीव गांधी की एसपीजी सुरक्षा वापस ले ली थी।संशोधित कानून में प्रावधान था कि पूर्व सीएम और उसके परिवार के सदस्यों को प्रधानमंत्री पद से हटने के 10 साल बाद तक एसपीजी कवर मिलेगा।
2003 में हुआ आखिरी संशोधन
वाजपेयी सरकार ने एसपीजी सुरक्षा की समीक्षा की थी और तीन पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव, एचडी देवेगौड़ा और इंद्र कुमार गुजराल की एसपीजी सुरक्षा हटा ली गई थी। 2003 में इस कानून में संशोधन किया गया यह अब तक लागू है। इसके अनुसार, पूर्व प्रधान मंत्रियों को पद छोड़ने के 1 साल बाद तक ही एसपीजी सिक्योरिटी कवर मिलेगा।
एसपीजी का गठन
एसपीजी का गठन 2 जून 1988 में संसद के एक अधिनियम से हुआ। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है। इसके जवानों का चयन केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल आरपीएफ से किया जाता है वही अफसर आईपीएस या आरपीएफ से चुने जाते हैं। यह बल कैबिनेट सचिवालय के अंतर्गत आता है।
जेड प्लस सुरक्षा
जेड प्लस की सुरक्षा भारत की सर्वोच्च श्रेणी है। इस श्रेणी में संबंधित विशिष्ट व्यक्ति को सुरक्षा में 26 जवान लगे होते हैं। इसमें 10 से ज्यादा एनएसजी कमांडो के साथ दिल्ली पुलिस, आईटीबीपी के कमांडो और पुलिसकर्मी शामिल होते हैं।
एसपीजी सुरक्षा
एसपीजी जवान एफएन हर्सटल एफ-2000, एफएन हर्सटल 57 जैसी असाॅल्ट राइफल से लेस होते हैं।कमांडोज के पास ग्लोक 17 या 19 पिस्टल भी होती है। यह साथ ब्रीफकेस के आकार के बैलेंस्टिक शील्ड लेकर चलते हैं।गोलीबारी की स्थिति में यह इससे वीआईपी की सुरक्षा की जाती है। इनके पास संचार बनाए रखने और हमलावरों के संचार को रोकने के आधुनिक उपकरण होते हैं।