आज का दौर ऐसा दौर है जिसमे लड़का और लड़की दोनो को ही बराबर माना जाता है।हर क्षेत्र में आजकल लड़कियां भी लडको के कंधे से कंधा मिलाकर उन्हें हर फील्ड में कंपटीशन दे रही है।ऐसी कोई फील्ड नही है जिसमे लड़कियों ने दुनिया के सामने ये न साबित कर दिखाया हो की वो भी लड़को से किसी भी मामले में काम नहीं है।आज हम आपको एक ऐसी ही महिला के बारे में बताने जा रहे है जिसने पहली बार एक ऐसी फील्ड में लड़कियों के नाम का डंका बजाया है जिसमे दूसरी कोई लड़की जाने का सोचती भी नही है।
इस महिला ने ऐसा काम कर दिखाया है जिसके बाद देश और दुनिया के सभी लोग इसी लड़की की तारीफ करने में लगे है।ऐसा काम करने वाली ये देश की पहली ऐसी भारतीय महिला बन गई है जिसने इस फील्ड में अपना नाम बनाया है। ये महिला है झारखंड की रहने वाली आकांक्षा कुमारी जिन्होंने अंडरग्राउंड कोल माइंस जैसी फील्ड में काम करके दुनिया के सामने एक नई मिसाल पेश की है।
आकांक्षा कुमारी इस कोल माइन में इंजीनियर के पद पर नियुक्त की गई है। जिन लोगो के मन में ये सोच बनी हुई थी की खदानों में सिर्फ आदमी की काम कर सकते है ऐसे में आकांक्षा का इस खदान में इंजीनियर के पद पर कार्य करना अपने आप में ही एक बहुत गर्व की बात है जो समाज की रूढ़ियों को तोड़ते हुए कभी न सोचे जाने वाले इस काम में अपना कौशल दिखा रही है।
झारखंड के हजारीबाग के बरखाने में रहने वाली आकांक्षा कुमारी की उम्र अभी सिर्फ 25 साल ही है। लेकिन उनके हौसले उनकी उम्र से भी कई ज्यादा बुलंद है। इस इलाके में रहने की वजह से उन्हें कोयले की अच्छी खासी जानकारी है जिसकी वजह से उन्होंने कोयले की फील्ड में ही अपने करियर को बनाने का सोचा। आकांक्षा ने नवोदय स्कूल से अपनी स्कूली पढ़ाई की थी जिसके बाद वो कोयले की खदान में काम करने के लिए धनबाद के बिरसा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी सिंदरी में भर्ती हुई और यह से माइनिंग इंजीनियर बनकर अपना ग्रेजुएशन पूरा किया।
तो देखा आपने किस तरह से आकांक्षा ने फिर एक बार ये साबित कर दिया है की अगर लड़कियों को भी घरवालों का सपोर्ट और बराबरी से उन्हें आगे बढ़ाया जाए उनका मनोबल बढ़ाया जाए तो वे सभी लड़कियां हर क्षेत्र में अपने नाम का झंडा जरूर लहराएगी।अपनी कड़ी मेहनत से आकांक्षा ने जो मुकाम हासिल किया है इसके बाद वे कई लड़कियों के लिए प्रेरणा बन गई है।