क्या आप सभी जानते है कि मकड़ी रेशम का निर्माण भी करती है ? रेशम बनाने के लिए मकड़ी अपने शरीर में उपस्थित प्रोटीन फाइबर का इस्तेमाल करती है। इस रेशम का प्रयोग मकड़ी अपने रहने के लिए बनाये जाने वाले जाल को बुनने, यहाँ से वहा जाने और भोजन के लिए करती है। मकड़ी का रेशन दुनिया में लोहे से भी ज्यादा मजबूत माना जाता है। मकड़ियां अक्सर वीरान और सुनसान जगहों पर मिलती है जिसके कारण इस रेशम की उपलब्धता अधिक मात्रा में नहीं हो पाती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि मकड़ी का यह दुर्लभ रेशम स्टील और बुलेटप्रूफ से भी कही अधिक मजबूत होता है। जिसके कारण की मकड़ी का यह रेशम इसको बहुउपयोगी बना देता है। मकड़ी के रेशम की इसके अणु पर निर्भर होती है जिसके अंदर जितना अणुभार होता है वो रेशम उतना ही ज्यादा मजबूत होता है।
70 लोगों के प्रयास से हुआ तैयार
कभी आपने मकड़ी के रेशम से कपड़ों तो तैयार करने के बारें में सुना है नहीं ना, तो आईये आपको बताते है ऐसे ही एक अविष्कार के बारें में जहा मकड़ी के रेशम से तैयार किये गए परिधानों के बारें में। गोडले और पीयर्स जिन्होंने मादा मकड़ियों से एक मिलियन से अधिक गोल्डन रेशम निकाला है इसके लिए उन्होंने मेडागास्कर जगह को चुना जहा यह प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हो सकता था। मेडागास्कर की मकड़ियों में सुनहरें रंग का रेशम पाया जाता है जिसकों निकलने में सत्तर लोगो का सहयोग लिया गया। इस पुरे कार्य को करने चार वर्षों से भी अधिक समय लगा और अस्सी फीट रेशम इकठ्ठा किया जा सका। इस अस्सी फीट सुनहरें रेशम से हमने दो परिधान तैयार किये। एक ग्यारह फुट कपडे से तैयार हुआ है और दूसरा चार फुट कपडे से तैयार किया गया है।
1 लाख मकड़ियों के रेशम से हुआ तैयार
छोटी सी मकड़ियों के रेशम से तैयार यह कपडा अपने आप में अनोखा है क्योंकि इसमें मकड़ी के रेशम के साथ ही साथ मकड़ी की छवि को भी बनाया गया है। एक लाख से अधिक जंगली मकड़ियों के सुनहरे रेशम से बना एक दुर्लभ कपड़ा न्यूयॉर्क शहर में अमेरिकी प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय में प्रदर्शित किया गया था। अपने चमकदार रंग और जटिल कढ़ाई के साथ, यह सुनहरा परिधान अपने आप में कला का एक विशेष काम है। आप जब इसे थोड़ा करीब से देखेंगे तो मकड़ी के सुनहरे रेशम से कढ़ाई कर मकड़ी की छवि बनाई गयी है जिसके लिए वास्तव में एक लाख से अधिक मकड़ियों का रेशम प्रयोग हुआ है।
सबसे पहले 19 वीं शताब्दी के अंत में पेरिस एक्सपोजर यूनिवर्स के लिए मकड़ी के रेशमी वस्त्र का निर्माण किया गया था, लेकिन उसके कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं है। 19 वीं शताब्दी में मकड़ियों के रेशम को लेकर कोई विशेष प्रयोग नहीं किये गए और न उस दिशा में आगे भी कोई गंभीर प्रयत्न किये गए है। स्पाइडर सिल्क टेक्सटाइल को सफलता वर्ष 2009 में प्राप्त हुई थी जब नूयार्क के प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय में इससे तैयार कपड़ों को दिखाया गया था। दर्शकों को ये इतने पसंद आये थे की इसे देखने वालों की संख्या ने पिछली कई प्रदर्शनियों की संख्या को पीछे छोड़ दिया था।