महात्मा गांधी कोलकाता के बेरिया घाट में जिस मकान में 3 हफ्ते रहे उसे संग्रहालय में तब्दील कर दिया गया है। उसे 2 अक्टूबर को लोगों के लिए खोला जाएगा। इस संग्रहालय में गांधी जी के दुर्लभ तस्वीरों और लेखों को प्रदर्शित किया जाएगा। 1950 से इमारत की देखरेख कर रहे समिति के पदाधिकारी ने कहा कि शहर जल रहा था तब गांधी जी और उनके समर्थक इस इमारत में रहे थे।
अगस्त में गांधीजी अनिश्चित हड़ताल पर बैठे गांधी ने दोनों समुदाय के नेताओं के यहां आने और उनके चरणों में हथियार रख कर माफी मांगने पर 4 सितंबर को अनशन समाप्त किया। इस इमारत को हैदरी मंजिल के नाम से जाना जाता है, इसमें गांधी जी अपने समर्थकों के साथ 13 अगस्त 1947 को आए थे। वह इमारत के दो कमरों में ही रहे क्योंकि सात कमरे रहने लायक नहीं थे।

यह इमारत धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त होने लगी, 2 अक्टूबर 1985 को राज्य सरकार ने लोक निर्माण विभाग समिति से परामर्श कर इसकी मरम्मत करवाई और इसका नाम गांधी भवन रखा गया। 2009 में जब राज्यपाल गोपाल कृष्ण गांधी आए तो उन्होंने इस इमारत में गांधी से जुड़ी प्रदर्शनी लगाने को कहा, तभी से इसे छोटे संग्रहालय के रूप में संचालित किया जाने लगा। यहां एक कमरे में गांधी जी का चश्मा टोपी खड़ाऊ तकिया और गद्दे प्रदर्शित किए गए हैं।

सीमित संसाधन की वजह से इस प्रदर्शनी के बारे में लोगों को इसकी जानकारी नहीं थी, अब इसकी मरम्मत करवा दी गई है। अब इसे सरकार द्वारा संचालित पूर्ण संग्रहालय के तौर पर खोला जाएगा। राष्ट्रपिता के 150 वें जन्मदिन पर यह सराहनीय काम हो रहा है। प्रदर्शनी व्यवस्थित होगी और कुछ नई वस्तुओं को भी जोड़ा गया है। जिसमें बेलिया घाट से 10 किलोमीटर दूर स्थापित सोदपुर मैं गांधी द्वारा उपयोग में लिए गए सामान भी है। इसमें वहां के निवासियों द्वारा चरखे से निर्मित कपड़े और नोआखली के लोगों को लिखे पत्रों का संग्रह भी है। इमारत के सातों कमरों में बांग्लादेश में जारी हिंसा को लेकर अखबारों में छपी कतरन भी प्रदर्शित की जाएगी।

पदाधिकारी ने कहा इसमें तस्वीरें भी शामिल है, जैसे गांधी उदास हो कर लालटेन को देख रहे हैं दूसरी तस्वीर में 4 सितंबर 1947 को आंखों में आंसू भरे समुदाय के नेता गांधी से अनशन समाप्त करने को कह रहे हैं। एक तस्वीर में गांधी मौन व्रत धारण किए हुए हैं। संग्रहालय के तीन हिस्से हैं एक हिस्सा गांधी के जन्म मृत्यु और राजनीतिक जीवन को समर्पित है, दूसरे हिस्से में गांधी के हैदरी मंजिल से संबंध को रेखांकित किया है, तीसरे हिस्से में दिखाया गया है कि कैसे गांधी ने नोआखाली और कोलकाता में हिंसा को बढ़ने से रोका। यहां पर अखबारों की कतरन, किताब और अभी लेखीय सामग्री भी रखी गई है।
वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार दृश्य श्रव्य प्रस्तुति की भी व्यवस्था होगी। उन्होंने बताया कि भव्य उद्घाटन समारोह के लिए बड़ा द्वार बनाया गया है और अहिंसक आंदोलन से जुड़े भित्ति चित्र दीवारों पर बनाए गए हैं। सरकारी अधिकारी ने बताया प्रवेश शुक्ल पर फैसला वस्तुओं की प्रदर्शनी के लिए रखे जाने के बाद लिया जाएगा।
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