आज साल 2021 का आखिरी दिन है आज रात 12:00 बजे के बाद नया कैलेंडर लागू कर दिया जाएगा। बता दें कि सभी लोग बेसब्री से इस दिन का इंतजार कर रहे थे। जब रात 12:00 बजे सेलिब्रेशन करते हुए अपनी पुरानी यादों को भुला देंगे और 2021 को छोड़ 2022 में आगे बढ़ते चले जाएंगे। बता दें कि न्यू ईयर का जश्न दुनिया भर में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन को विदेशों में कुछ अलग ही अंदाज में सेलिब्रेट किया जाता है। लेकिन महामारी के बढ़ते प्रकोप के चलते यहां सेलिब्रेशन थोड़ा सा फीका पड़ गया है।
लेकिन क्या आप जानते हैं 1 तारीख को ही न्यू ईयर क्यों मनाया जाता है जबकि पहले न्यू ईयर 25 मार्च और 25 दिसंबर को मनाया जाता था। इस बात से बहुत कम लोग अबगत हैं कि आखिर न्यू ईयर 1 जनवरी से किस सन से मनाया जा रहा है। तो चलों इस आर्टिकल में बताते हैं कि 1 जनवरी से न्यू साल की शुरुआत किसने की और इसके पीछे का क्या कारण रहा है। इतिहास को उठाकर देखा जाए तो 1 जनवरी के दिन न्यू हेयर को मान्यता 15 अक्तूबर 1582 को मिली इसके बाद से ही 1 जनवरी को न्यू ईयर मनाया जाता है।
25 दिसंबर को मनाया जाता था नया साल
इतिहासकारों द्वारा सबसे पहले जो कैलेंडर बनाया गया था उसमें केवल 10 महीने ही हुआ करते थे। क्योंकि बताया जाता है कि इस कैलेंडर के अनुसार 1 सप्ताह में 8 दिन हुआ करते थे साथ ही 310 दिन का पूरा साल हुआ करता था। बताया जाता है कि रोम के राजा नूमा पोंपिलस ने रोमन कैलेंडर मैं बड़ा बदलाव किया और उन्होंने पहली बार जनवरी को नया साल बताया। बता दें किइसके बाद से ही लगातार 1 जनवरी के दिन ही नया साल सेलिब्रेट किया जाता है और नए साल की शुरुआत इस दिन से होती है।
बाद में जूलियस सीजर नाम के एक रोम के शासक ने कैलेंडर में फिर बदलाव किया और इसमें 2 महीने और जोड़ दिए और कैलेंडर पूरे 12 महीने का बनकर तैयार हो गया। सीजर ने खगोलविदों क्या आधार पर नए कैलेंडर का निर्माण करवाया उन्होंने माना कि पूरा साल 365 दिन का होता है। इतना ही नहीं उन्होंने यह भी अनुमान लगा लिया था कि पृथ्वी सूर्य का 365 दिन और 6 घंटे में पूरा एक चक्कर लगाती है और इसी वर्ष से लीप ईयर की भी शुरुआत हुई थी। इसके बाद लगातार कैलेंडर में बदलाव किए गए और 1 जनवरी को ही नया साल माना गया।